12th Political Science Top 15 Long Subjective Question || Political Science Subjective

जय हिंद मेरे प्यारे बच्चों जैसा की आप सभी को पता है कि 6 फरवरी से आपका Political Science का परीक्षा है तो आप सबके लिए Top 15 Long Subjective Question लाए हैं तो आप इसे जरूर दो चार बार पढ़ ले

 

Top 15 Long Question :- 

 

1. ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म क्या है?

उत्तर :- 1990 में इराक ने कुवैत पर हमला कर उसे हड़प लिया तथा उसे अपना 19वां प्रांत घोषित कर दिया। तो इसके विरुद्ध अमेरिका 34 देशों के, 6 लाख 60 हजार सेना की सहायता से कुवैत से इराक कब्जा समाप्त करने के लिए जो अभियान चलाया उसे ही ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म कहते हैं।

 

2. वैश्वीरकण के कौन-कौन से लाभ है?

उत्तर :- वैश्वीरकण के लाभ निम्नलिखित है –

(i) पूंजी के प्रवाह में वृद्धि हुई है।

(ii) तकनीक का आदान-प्रदान बढ़ा रहा है।

(iii) वैश्विक संबंध में सुधार आया है।

(iv) विकासशील देशों को विकास में गति आई है।

(v) देशों के बीच दूरियां घटी है।

(vi) मानव में तकनीकी कुशलता का विकास हुआ है।

 

3. भारतीय राजनीति में कांग्रेस के प्रभुत्व से आप क्या समझते हैं?

उत्तर :- भारतीय राजनीति में कांग्रेस के प्रभुत्व का मतलब है। की केंद्रीय व राज्य दोनों स्तर पर सत्ता में कांग्रेस पार्टी का वर्चस्व भारतीय राजनीति में नहीं रहे। इसका काल 1952 से 1967 तक था।

 

4. राष्ट्रपति के अधिकार व कार्यों को लिखें?

उत्तर :- राष्ट्रपति भारतीय कार्यपालिका के संवैधानिक प्रधान होते हैं। यह देश के प्रथम नागरिक व तीनों सेना से सुप्रीम कमांडर होते हैं। देश का शासन इन्हीं के नाम से चलाया जाता है। इनका कार्यकाल 5 वर्षों का होता है। इनका अधिकार व कार्य –

(i) प्रधानमंत्री व उनके सलाह से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करना।

(ii) देश के सभी प्रमुख पदाधिकारियों की नियुक्ति करना।

(iii) संसद में बजट पेश करना।

(iv) युद्ध और शांति की घोषणा करना।

(v) लोकसभा में 2 व राज्यसभा में 12 सदस्य का मनोनयन करना।

 

5. संवैधानिक व्यवस्था के संकट से आप क्या समझते हैं?

उत्तर :- लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था जनमत पर आधारित है। लेकिन जब शासक जनादेश का निरादर करता है। या स्वेच्छाचारी ढंग से काम करके लोगों की इच्छाओं का दमन करता है। तो लोगों के द्वारा उसका विरोध प्रारंभ हो जाता है। जिसे ही संवैधानिक व्यवस्था का संकट कहा जाता है।

 

6. द्विध्रुवीय विश्व से आप क्या समझते हैं?

उत्तर :- दूसरा महायुद्ध जिसका समापन 1945 में हुआ। इस युद्ध के बाद विश्व राजनीति में दो महाशक्तिशाली देशों का उदय हुआ। इन दोनों देशों के उदय के फल स्वरुप विश्व में दो अलग-अलग गुटों में बट गया। जिससे अमेरिका पूंजीवाद गुड्डू का नेता बना। वहीं रूस समाजवादी गुटों का। और इस तरह दूसरे महायुद्ध के समाप्ति के बाद विश्व का दो राजनीतिक गुटों में बांटना द्विध्रुवीय विश्व कहलाता है।

 

7. पर्यावरण के संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों की चर्चा करें?

उत्तर :- पर्यावरण की सुरक्षा आज विश्व के लिए चिंता बन गई। विश्व के प्रत्येक नागरिक का यह आज का कर्तव्य बन गया है कि अपने संपूर्ण ताकत और सख्ती से पर्यावरण की सुरक्षा करें। इसके लिए उठाए गए प्रमुख कदम निम्नलिखित है –

(i) ऊर्जा के उत्पादन, उससे वायु ज्यादा प्रदूषित हो रहा है अतः उसके वैकल्पिक स्रोत की तलाश की जाए।

(ii) वाहनों के साइलेंसर से निकलने वाले दुआ से वायु प्रदूषण से खतरा ज्यादा होता है अतः ऐसे वाहनों का निर्माण किया जाए जिससे दुआ न निकले।

(iii) संचार के साधनों तथा शिक्षण संस्थानों में पर्यावरण के प्रति जागृति पैदा किया जाए।

(iv) हमारे प्राचीन संस्कृति पर्यावरण की सुरक्षा पर जोर देती थी उसका प्रोत्साहन दिया जाए।

(v) पर्यावरण संरक्षण के दिशा में कार्य करने वाले व्यक्तियों को पुरस्कृत किया जाए।

(vi) ऊर्जा के नवीन संसाधनों पर बल दिया जाए।

(vii) प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण तरीके से प्रयोग किया जाए।

 

8. तनाव – शैथिल्य क्या है?

उत्तर :- दूसरे महायुद्ध की समाप्ति के बाद विश्व राजनीति में दो ताकतवर देश का उदय हुआ। जिसमें अमेरिका उदारवादी पूंजीवाद का और सोवियत रूस समाजवादी विचारधारा का प्रवर्तक बना। विचारधारा के फैलाने के प्रश्न पर दोनों ही देशों में वैचारिक मतभेद छिड़ गया और उस मतभेद को शीतयुद्ध का नाम दिया गया। इसी शीत युद्ध के दौरान दोनों देशों के बीच घृणा, द्वेष और टकराव की स्थिति इतनी ज्यादा हो गई। की जिसके कारण तीसरे महायुद्ध जैसा माहौल उत्पन्न हो गया। अतः इस माहौल को कम करने के लिए दोनों ही देशों ने आपसी घृणा और द्वेष की भावना को कम किया जिससे उनके बीच सहयोग और समन्वय बड़ा जिससे शीत युद्ध की स्थिति में कमी आई। जिसे ही तनाव – शैथिल्य का नाम दिया गया।

 

9. विश्व राजनीति में अमेरिका के प्रभुत्व के कारणों को लिखे?

उत्तर :- विश्व राजनीति में अमेरिका के प्रभुत्व के प्रमुख कारण है –

(i) नई व्यवस्था की रचना – अमेरिका जब विश्व राजनीति में एक ताकतवर देश के रूप में उभरा तो वे एक ऐसी व्यवस्था की रचना करना चाहते थे। जिससे कानून का शासन हो साथ ही सभी भय से मुक्त होकर कोई किसी के अधिकार में दखलअंदाजी न करें।

(ii) संयुक्त राष्ट्र संघ की व्यवस्था का स्वेच्छाचारी संचालन – संयुक्त राष्ट्र संघ। जिसकी स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को विश्व में शांति व्यवस्था को स्थापित करने के लिए की गई थी। इसके संविधान में यह कहा गया था। कि सभी देश उसके आदेशों का पालन करेंगे। लेकिन इसने बार-बार वीटो का प्रयोग करके 2001 में अफगानिस्तान पर आक्रमण करके तथा 2003 में इराक पर आक्रमण करके स्वेच्छाचारी का परिचय दिया।

(iii) दमनकारी कूटनीति का प्रयोग – संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद के चार्टर में कहा गया था। कि कोई भी देश किसी दूसरे देश के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा। लेकिन अमेरिका कभी मानवाधिकारों की दुहाई लेकर तो कभी आतंकवाद के आधार मानकर विश्व में अपना दबदबा कायम किया है।

(iv) अंतर्राष्ट्रीय विवादों में मध्यस्तता – अमेरिका के प्रभुत्व का यह भी एक प्रमुख कारण है। कि जब भी दो देशों के बीच किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न हो जाता है। तो उन विवादों को दूर करने के लिए अमेरिका बिचौलिया की भूमिका में खड़ा होता है। और उन दोनों के बीच विवाद को समाप्त करके उस पर अपना प्रभाव जमाने लेता है।

इसके अलावे सर्वसत्तावादी व्यवस्था और आतंकवाद का निराकरण करके नई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का विरोध करके विश्व में शांति की स्थापना करके आज अमेरिका ने विश्व में अपना प्रभुत्व को स्थापित करने का काम किया है।

 

10. संयुक्त राष्ट्र संघ क्या है? इसके प्रमुख कार्यों को लिखें।

उत्तर :- संयुक्त राष्ट्र संघ एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना दूसरे महायुद्ध के समाप्ति के बाद विश्व में शांति व्यवस्था को स्थापित करने के लिए तथा आपसी संघर्ष के समाधान करने के लिए 24 अक्टूबर 1945 को की गई। इसके प्रमुख कार्य निम्नलिखित है-

(i) विश्व में शांति व्यवस्था को स्थापित करना।

(ii) दो देशों के बीच यदि विवाद चल रहा है तो मध्यस्थ बनकर उन विवादों को दूर करना।

(iii) मानव अधिकार की रक्षा करना।

(iv) कमजोर सदस्य देशों को आर्थिक सहायता करना।

(v) विश्व के आतंकवाद जैसी समस्या के विरुद्ध अभियान चलाना इत्यादि।

 

11. भारत-बांग्लादेश विवाद पर प्रकाश डाले?

उत्तर :- बांग्लादेश की से पहले पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था। 971 में इसे भारत के सहयोग से ही स्वतंत्रता मिली पर 1975 में से शेख मुजबुर्रहमान के मृत्यु के बाद यहां सैनिकों का बोलबाला बढ़ गया जिस कारण भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध में कड़वाहट आ गई इन दोनों के बीच मनमुटाव के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित है –

(i) जल विवाद – गंगा जो भारत और बांग्लादेश दोनों में बहती है इसी नदी पर कोलकाता बंदरगाह है भारत गंगा के जल को रोककर कोलकाता बंदरगाह को बचाना चाहता है लेकिन बांग्लादेश इसका विरोध करता है उनका मानना है कि इससे बंगलादेश को मिलने वाले जल में कमी हो जाएगी।

(ii) अवैध शरणार्थी – बांग्लादेश की स्वतंत्रता के समय अनेक बांग्लादेशी (चमका जनजाति) भारत के विभिन्न राज्यों में प्रवेश कर गया जिसकी संख्या लगभग 50000 है। भारत चाहता है कि वे अपने देश जाए लेकिन बांग्लादेश ऐसा नहीं चाहता।

(iii) तीन बीघा भूमि विवाद – भारत और बांग्लादेश की सीमा पर 178 मीटर लंबा और 50 मीटर चौड़ा एक भूमि है जो भारत के क्षेत्र में आता है जिसे बांग्लादेश लेना चाहता है। भारत शांति स्थापना के लिए 1993 में जमीन का टुकड़ा पट्टा पर दे दिया लेकिन बांग्लादेश इस पर अपना स्थाई दावा करता है।

(iv) नवमूर द्वीप विवाद – नवमूर और बांग्लादेश में एक छोटा टापू है जिस पर भारत का अधिकार है लेकिन बांग्लादेश इस पर अपना दावा सिद्ध करता है।

(v) मुहूरी नदी सीमा विवाद – मुहूरी भारत और बांग्लादेश की सीमा पर बहने वाली एक नदी है। यह नदी बांग्लादेश को त्रिपुरा से अलग करती है लेकिन बांग्लादेश संपूर्ण मुहूरी नदी आपने अपना अधिकार बताता है।

 

12. पहले तीन आम चुनाव में कांग्रेस के चमत्कारी सफलता के क्या कारण थे?

उत्तर :- प्रथम तीन आम चुनावों अर्थात् 1952, 1957, एवं 1962 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व पार्टी के सबसे प्रभावशाली और चमत्कारी नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू के यहां आंखों में केंद्रित थी। उनकी योग्यता और क्षमता इतनी ऊंची थी और आदर्श इतना बड़ा था कि इसमें सभी वर्ग, सभी संप्रदाय, सभी क्षेत्र का विकास छिपा था। इसमें सभी को एक साथ जोड़ कर चलने की अद्भुत क्षमता थी। ये बच्चों को बहुत प्यारे थे। ये “चाचा नेहरू”के नाम से देश में प्रसिद्ध है। इसके अलावा –

(i) देश में अनेक पाटिया थी लेकिन सता कांग्रेस पार्टी के हाथ में रही।

(ii) सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी ने राजनीतिक बहुलवाद को बनाए रखा।

(iii) सरकारी नौकरी कांग्रेश एक संगठित और कर्मठ पार्टी की तरह काम कर रही थी। इन्हीं सब कारणों से पहले तीन आम चुनावों में कांग्रेस में चमत्कारी सफलता मिली।

 

13. भारत के परमाणु नीति पर प्रकाश डाले?

उत्तर :- भारत एक परमाणु संपन्न देश है। भारत के परमाणु नीति की मुख्य बातें निम्नलिखित है –

(i) भारत अपनी परमाणु क्षमता का प्रयोग शांतिपूर्ण और रचनात्मक कार्यों में करेगा।

(ii) भारत इसे भी प्रकार के भेदभावपूर्ण परमाणु संधि पर हस्ताक्षर नहीं करेगा।

(iii) भारत किसी अन्य देश पर पहले परमाणु हमला नहीं करेगा लेकिन यदि कोई देश भारत के विरुद्ध परमाणु कार्यवाही करेगा तो भारत उसको उचित जवाब देगा।

(iv) भारत अपने न्यूनतम परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखेगा।

 

14. 12वीं पंचवर्षीय योजना का लक्ष्य बतावे?

उत्तर :- 12वीं पंचवर्षीय योजना जिसका कार्यकाल 1 अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 तक था। इसका प्रमुख लक्ष्य है-

(i) धारणीय व समावेशी विकास को प्राप्त करना था।

(ii) कृषि क्षेत्र में 4% विनिमार्ण क्षेत्र 10% वार्षिक वृद्धि प्राप्त करना।

(iii) वार्षिक विकास दर 8% को प्राप्त करना।

(iv) सभी गांवों को बारहमासी सड़कों से जोड़ने एवं विद्युतीकरण।

(v) कुल प्रजनन दर को 2.1 प्रतिशत तक करना।

(vi) शिशु मृत्यु दर को 25 प्रति तक लाना तथा मातृ मृत्यु दर 1 प्रति हजार तक लाना।

(vii) 10 लाख रोजगार के अवसर उपलब्ध करना है।

(viii) अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देना।

(ix) लिंग असमानता को कम करना तथा सामाजिक सशक्तिकरण करना।

(x) सकल घरेलू बचत दर को 33.6% तक पहुंचता है।

 

15. कश्मीर समस्या क्या है?

उत्तर :- स्वतंत्रता के समय भारत में लगभग 565 देशी रियासतें थी। भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 में यह प्रावधान किया कि ये रियासतें भारत में रहे या पाकिस्तान में जाए स्वतंत्र रहे। सभी रियासतों ने अपने को भारत में मिला लिया लेकिन जम्मू कश्मीर के राजा हरि सिंह ने अपने रियासत को ना ही पाकिस्तान में मिलाया और ना ही भारत ने मिलाया बल्कि अपने को स्वतंत्र रखने का निर्णय लिया। आता है इस स्थिति का फायदा उठाकर पाकिस्तान कश्मीर पर हमला बोल दिया अतः 26 अक्टूबर 1947 को हरिसिंह विलय पत्र पर हस्ताक्षर करके अपने को भारतीय संघ में मिला लिया और उसके बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को कश्मीर से खदेड़ दिया और पंडित नेहरू ने यह मुद्दा सुरक्षा परिषद में उठाया। सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव द्वारा स्थिति को सामान्य कर दिया और कहा कि जब स्थिति पूर्णतः नियंत्रित हो जाएगी तो जनमत संग्रह करके यह निर्णय जाएगा कि कश्मीर किस में शामिल होना चाहता है?

 ‌‌                अत: पाकिस्तान हमेशा यह मुद्दा उठाता है कि किसी रियासत को किसी दूसरे संग में मिलाने का अधिकार वहां के जनता को है, राजा को नहीं लेकिन भारत पाकिस्तान के इस विचार से सहमत नहीं हैं। जो विवाद का मूल कारण है।

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page