12th History Chapter 2 Notes In Hindi

12th History Chapter 2 Notes In Hindi || राजा, किसान और नगर नोट्स कक्षा 12वीं

12th History Chapter 2 Notes In Hindi

History- इतिहास

Class 12th             Chapter 2

राजा, किसान और नगर

Full Chapter Explanation With Notes 

 

 

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★ परिचय ( Introduction)

हड़प्पा सभ्यता के पश्चात ऋग्वैदिक काल जो 1500 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व तक रही। इस काल में ऋग्वेद की रचना हुई थी। ऋग्वेद में सांस्कृतिक एवं राजनीतिक स्थिति का पता चलता है। हड़प्पा सभ्यता के पतन के बाद वैदिक कालीन सभ्यता एक ग्रामीण सभ्यता थी। 1000 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व तक उत्तरवैदिक काल में तीन अन्य वेदों (सामवेद, यजुर्वेद एवं अथर्ववेद) की रचना हुई। इस काल में राजा निरंकुशता की ओर अग्रसर हुआ, समाज में महिलाओं की स्थिति में ह्रास हुआ। 600 ईसा पूर्व भारत में बौद्ध एवं जैन धार्मिक आंदोलन का सूत्रपात हुआ। इसी दौरान 16 महाजनपद अस्तित्व में आया। 300 ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य स्थापित हुआ। मौर्य साम्राज्य से गुप्त साम्राज्य तक के राजनीतिक एवं आर्थिक इतिहास के विस्तृत जानकारी इस अध्याय में करेंगे।

 

★ प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन के स्रोत 

प्राचीन भारतीय इतिहास के मुख्य तीन स्रोत हैं

  1. साहित्यिक स्रोत

  2.  पुरातत्विक स्रोत

  3. विदेशी यात्रियों के विवरण

★ साहित्यिक स्रोत :- साहित्यिक स्रोत दो भागों में बांटा गया है

  1. धार्मिक साहित्य

  2. लौकिक साहित्य या धर्मेंतर साहित्य

★ धार्मिक साहित्य :- धार्मिक साहित्य पुनः चार भागों में बांटा गया है

  1. ब्राह्मण साहित्य 

  2. बौद्ध साहित्य

  3. जैन साहित्य

  4. महाकाव्य

 

★ ब्राह्मण साहित्य :- ब्राह्मण साहित्य के अंतर्गत चार ( ऋग्वेद, सामवेद यजुर्वेद, एवं अथर्ववेद) आते हैं। उपनिषदों की संख्या 108 है और वेदांग 6 (शिक्षा, कल्प, व्यवहार, निरुक्त, छंद एवं ज्योतिष) है तथा पुराणों की संख्या 18 है। यह सब प्राचीन भारतीय इतिहास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।

★ बौद्ध साहित्य :- बौद्ध साहित्य के अंतर्गत त्रिपिटक ( विनय पिटक, सुत्त पिटक एवं अभिधम्म पिटक) जातक कथाएं, दीपवंश एवं महावंश अंगुत्तर निकाय आते हैं।

★ जैन साहित्य :- जैन साहित्य को “आगम” कहा जाता है। इसमें 12 अंग, 12 उपांग, 10 प्रकीर्ण एवं 14 पर्व आते हैं।

★ महाकाव्य :- माता दे में प्रमुख दो (रामायण एवं महाभारत) ग्रंथ आते हैं। इससे हमें राजनीतिक, समाज, सांस्कृतिक एवं अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।

★लौकिक साहित्य या धर्मेंतर साहित्य :- लौकिक साहित्य के अंतर्गत ऐतिहासिक, अर्द्ध ऐतिहासिक ग्रंथ एवं जीवनियों को लिया गया है।

(i) ऐतिहासिक ग्रंथ :-

अर्थशास्त्र :- अर्थशास्त्र के लेखक कौटिल्य, चाणक्य, विष्णुगुप्त द्वारा रचित मौर्यकालीन, राजनितिक इतिहास की जानकारी मिलती है।

राजतरंगिणी :- राजतरंगिणी के लेखक कल्हण है जिसमें कश्मीर के इतिहास की जानकारी मिलता है

 

(ii) अर्द्ध ऐतिहासिक ग्रंथ :-

मुद्राराक्षस विशाखदत्त द्वारा रचित, अष्टाध्यायी “पाणिनि” द्वारा रचित, महाभाष्य “पतंजलि” द्वारा रचित, मालविकाग्निमित्र “कालिदास” द्वारा रचित ये सब अर्द्ध ऐतिहासिक ग्रंथ में आते हैं।

(iii) जीवनी ग्रंथ :-

-अश्वघोष कृत “बुद्धचरित” गौतम बुद्ध के चरित्र पर प्रकाश डालता है।

-बाणभट्ट कृत “हर्षचरित” सम्राट हर्षवर्धन के जीवन पर प्रकाश डालता है।

-विल्हण कृत ‘विक्रमांकदेवचरित‘ कल्याणी के चालुक्य सम्राट विक्रमादित्य षष्ठ का विवरण प्रस्तुत करता है।

★ पुरातात्विक स्त्रोत :- प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी पुरातात्विक स्त्रोत से ही मानी जाती है। राहुल सांकृत्यायन ने उचित ही कहा है “जिस ऐतिहासिक तथ्य को पुरातत्व का समर्थन नहीं है उसकी नींव बालू पर है”

पुरातात्विक स्त्रोत उदाहरण :- शिलालेख, अभिलेख, गुहालेख, मुद्राएं, स्मारक, मूर्तियां एवं चित्रकला आदि आते हैं।

 

★ विदेशी यात्रियों के विवरण :- प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने के लिए भारत में अनेक विदेशी यात्री आए। जो भारत के कला, संस्कृति, धार्मिक परंपराओं, सामाजिक अचार-विचारों, भौगोलिक, राजनीतिक एवं आर्थिक स्थिति की महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। इंडिका के लेखक “मेगास्थनीज” है। जो यूनान के रहने वाले थे। वह चंद्रगुप्त के दरबार में आया था साथ ही साथ मोहम्मद गजनी के साथ भारत आने वाले अलबरूनी “तहकीक ए हिंद” किताब लिखें।

 

★ इतिहास लेखन में अभिलेखों का महत्व 

इतिहास लेखन में अभिलेखों का होना बहुत ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि हमें उन राजाओं एवं अन्य लोगों के प्रति शुक्रगुजार होना चाहिए जिन्होंने अभिलेख खुदवाकर  तत्युगीन इतिहास को सुरक्षित करते हुए हम तक पहुंचाया है।

अभिलेख में मिले कुछ तत्त्व :- पाषाण, धातु या मिट्टी के बर्तन आदि मिले हैं।

डी. आर. भंडारकर महोदय ने तो मात्र अभिलेखों के आधार पर ही अशोक का इतिहास लिखने का श्लाघ्य प्रयास किया है।

 

★ अभिलेखों का पढ़ा जाना 

अभिलेखों के अध्ययन को अभिलेखशास्त्र (Epigraphy) कहते हैं। इसकी स्थापना भारत में 1886 ई. में हुई। इसमें सम्राट अशोक के बारे में बताया गया है। सम्राट अशोक द्वारा 14 शिलालेख मिले हैं। अशोक द्वारा लिखित शिलालेख में ब्राह्मी लिपि का प्रयोग किया गया था।

 

★ क्षेत्रीय राज्य का उदय : 16 महाजनपद 

क्षेत्रीय राज्यों के उदय के साथ ही 16 महाजनपद अस्तित्व में आया। इसी समय लोहे का प्रयोग होने लगा एवं सिक्के बनाए जाने लगे। छठी शताब्दी ईसा पूर्व कि यह एक महत्वपूर्ण घटना थी। क्षेत्रीय राज्य के उदय के साथ-साथ जैन एवं बौद्ध धर्म भी अस्तित्व में आया।

16 महाजनपद की जानकारी हमें बौद्ध ग्रंथ “अंगूठा निकाय” एवं जैन ग्रंथ “भगवती सूत्र” से मिलती है।

 

★ 16 महाजनपद के नाम

  1. काशी

  2. कौशल

  3. अंग

  4. मगध

  5. वज्जि

  6. मल्ल

  7. चेदी

  8. वत्स

  9. कुरु

  10. पांचाल

  11. मत्स्य

  12. शूरसेन

  13. अश्मक

  14. अवंती

  15. गंधार

  16. कम्बोज

 

★ गणतंत्रात्मक शासन का महत्व 

मगध शासक अजातशत्रु वज्जि संघ पर विजय पाना चाहता था। इसलिए मंत्री वर्षकार को भेजकर गौतम बौद्ध से सलाह ली। गौतम बौद्ध ने कहा “वज्जि इकट्ठे उठते, जुटते हैं। और राष्ट्रीय कर्तव्य का पालन करते हैं। वे लोग सभा द्वारा स्वीकृत किए बिना कोई भी कानून या आज्ञा जारी नहीं करते। बने नियमों को भंग नहीं करते। अतः इन्हें पराजित नहीं किया जा सकता।” उसके बाद फूट डाली एवं तत्पश्चात अजातशत्रु ने इस पर विजय हासिल कर ली। इसीलिए कहावत है की संगठन में शक्ति है। सभी महाजनपद का पतन होने लगा इसमें चार राज्य बचे। अवंती कौशल वत्स और मगध अस्तित्व में रहें।

 

★ मगध साम्राज्य

★ बिम्बिसार :- हर्यकवंश (544-412 ईसा पूर्व) के सम्राट बिंबिसार (544-491 ईसा पूर्व) ने मगध साम्राज्य की सर्वप्रथम स्थापना की। वह 15 वर्ष की उम्र में गद्दी पर बैठा उसने 80,000 गांवों का एक शक्तिशाली साम्राज्य बना लिया। इसने पहले गिरिव्रज एवं बाद में राजगृह को अपनी राजधानी बनाया। कौशल राज की पुत्री कौशल देवी, लिच्छवी शासक चेतक की पुत्री चेलना एवं मद्रदेश की राजकुमारी खेमा के साथ विवाह कर बिम्बिसार ने अपनी स्थिति मजबूत की। वह अपने पुत्र आजाद शत्रु द्वारा मारा गया। इस प्रकार बिंबिसार का अंत हुआ।

 

★ अजातशत्रु :- अजातशत्रु (491 ईसा पूर्व -459 ईसा पूर्व) अपने पिता बिम्बिसार की हत्या कर मगध सम्राट बना। राज्य प्राप्ति के लिए पुत्र द्वारा पिता की हत्या का यह प्रथम प्रमाण है। फूट डालो और शासन करो यह अजातशत्रु के काल में ही हुआ था। बुद्ध की मृत्युपरांत अजातशत्रु ने उनकी भस्म पर राजगृह में एक स्तूप बनवाया। इसी के समय प्रथम बौद्ध संगीति आयोजित हुई।

 

★ उदायिन :- उदायिन(460-440 ईसा पूर्व) ने भी अपने पिता अजातशत्रु की हत्या कर सिंहासन प्राप्त किया। उसने गंगा, सोन एवं पुन-पुन (गंडक) नदियों के संगम पर पाटलिपुत्र नगर की स्थापना की। अजातशत्रु ने अपने पिता बिंबिसार की हत्या की।  इसी प्रकार उदायिन ने भी अपने पिता अजातशत्रु की हत्या कर सिंहासन प्राप्त किया। इससे पता चलता है कि कर्म का फल इसी जन्म में मिल जाता है।

 

★ शिशुनाग वंश :- शिशुनाग वंश (412 -344 ईसा पूर्व) हर्यक वंश के अंतिम कमजोर शासक नागदशक को पंच्युत कर शिशुनाग नामक आमत्य ने मगध में शिशुनाग वंश की स्थापना की। शिशुनाग ने वैशाली को भी अपनी राजधानी बनाया। परंतु उसके पुत्र कालाशोक ने राजा बनने के पश्चात पुनः पाटलिपुत्र को ही अपनी राजधानी बनाया। द्वितीय बौद्ध संगीति कालाशोक के काल में हुई थी

 

★ नंद वंश :- (344- 323 ईसा पूर्व) महापदम नंद ने शिशुनाग वंश का अंत कर मगध में नंद वंश की स्थापना की। इस वंश के अंतिम शासक घनानंद थे। सिकंदर के भारत से जाने के पश्चात यहां अव्यवस्था फैल गई एवं चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की सहायता से मगध में नंद वंश को समाप्त कर। मौर्य साम्राज्य की स्थापना की। 

 

 

★ मौर्य साम्राज्य 

स्रोत (Sources) :- साहित्यिक स्रोत में कौटिल्य का अर्थशास्त्र, विशाखदत्त का मुद्राराक्षस, विष्णु पुराण एवं बौद्ध व जैन ग्रंथों से मौर्य साम्राज्य इतिहास की जानकारी मिलती है।

 

★ चंद्रगुप्त मौर्य (322-298 ईसा पूर्व) :- चंद्रगुप्त मौर्य भारत में मौर्य वंश का संस्थापक था। मौर्य वंश की स्थापना नंदवंश को विनाश करके किया गया। चंद्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस की पुत्री हेलना के साथ विवाह किया। मेगास्थनीज इंडिका नामक पुस्तक लिखी। जो एक राजदूत था। चंद्रगुप्त मौर्य ने अखिल भारतीय साम्राज्य की स्थापना की। जैन मुनि भद्रबाहु से उसने जैन धर्म की दीक्षा ली एवं 298 ईसा पूर्व में श्रवणबेलगोला (मैसूर) जाकर सल्लेखन (उपवास) द्वारा शरीर त्याग दिया।

 

★ बिंदुसार ‘अमित्रघात’ (298-273 ईसा पूर्व) :- चंद्रगुप्त के मृत्यु उपरांत उसका पुत्र बिंबिसार राजा बना। उसने 25 वर्ष तक राज्य किया। बिंदुसार के कुल 3 पुत्र थे। अशोक, सुसीम, विताशोक

 

★ अशोक प्रियदर्शी :- बिंदुसार के पश्चात उसका पुत्र अशोक सम्राट बना। वह मौर्य वंश का तीसरा शासक था। अपने पिता के शासनकाल में वह उज्जैन तथा तक्षशिला का शासन रह चुका था। देवी तिस्यरक्षिता, कारुवाकी, आसंदिमित्रा एवं पद्मावती आदि अशोक की पत्नियां थी। देवी से उत्पन्न महेंद्र एवं संघमित्रा अशोक के पुत्र और पुत्री थी। अशोक के 13वें शिलालेख से पता चलता है कि उसने राज्याभिषेक के पश्चात 8वें वर्ष में कलिंग पर विजय प्राप्त की। इस युद्ध में डेढ़ लाख लोग बंदी बनाए गए एवं एक लाख लोग मारे गए इसीलिए अशोक शस्त्र ग्रहण न करने की प्रतिज्ञा ले ली और धम्म प्रचार करने लगे।

 

अशोक का धम्म : अशोक अपने धम्म एवं उसके प्रचार के कारण ही अशोक न केवल भारत अपितु संपूर्ण विश्व का प्रसिद्ध व्यक्ति बन गया। अशोक ने मानव को जीने का कुछ नियम बताया है।

(i) प्राणियों की हत्या न करना

(ii) माता पिता की सेवा करना

(iii) वृद्धों की सेवा करना

(iv) गुरुजनों का सम्मान करना

(v) मित्रों, परिचितों, ब्राह्मणों, श्रमणों एवं दासों के साथ अच्छा व्यवहार करना

(vi) अल्प व्यय एवं अल्प संचय

(vii) सादगीपूर्ण जीवन

 

★ अशोक के धम्म का प्रचार हेतु उपाय 

अशोक धम्म प्रचार के लिए तन, मन, धन से कार्य करता है। तथा वह बौद्ध धर्म को पूरे एशिया में फैलाता है। साथ ही साथ अपने पुत्र और पुत्री संघमित्रा और महेंद्र को भी श्रीलंका भेजता है। इस तरह बौद्ध धर्म को पूरे विश्व में फैलाया जाता है। राजबली पांडे” ने उचित ही लिखा है ” वास्तव में बिना किसी राजनीतिक और आर्थिक स्वार्थ के धर्म के प्रचार का यह पहला उदाहरण था और इसका दूसरा उदाहरण अभी तक इतिहास में उपस्थित नहीं हुआ है”

 

★ अशोक के अभिलेख :- अभी तक अशोक के कुल 40 अभिलेख प्राप्त हुए हैं। जो भारत के कोने-कोने में बिखरे हुए हैं। देवदत्त रामकृष्ण भंडारकर महोदय ने तो मात्र अभिलेखों के आधार पर ही अशोक का इतिहास लिखा है अशोक के अभिलेख तीन वर्गों में विभाजित है

(i) शिलालेख 14 है।

(ii) स्तम्भलेख 6 है।

 (iii) गुहालेख 3 है।

 

★ ब्राह्मी एवं खरोष्ठी लिपि :- यह लिपि बाएं से दाएं लिखी जाती थी। ब्राह्मी लिपि आधुनिक भारतीय भाषाओं में प्रयुक्त होने वाले लिपियों में मूल है। ब्राह्मी लिपि से ही हिंदी, पंजाबी, बंगला, मराठी, गुजराती, तमिल, तेलगू एवं आदि भाषाओं की लिपियां का विकास हुआ। 1837 ई. में सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेस ने इस ब्राह्मी लिपि को पढ़ने में सफलता प्राप्त की थी

 

★ मौर्य प्रशासन 

मौर्य शासन प्रबंध चार भागों में बांटा जा सकता है:-

(i) केंद्रीय शासन

(ii) प्रांतीय शासन

(iii) नगर शासन

(iv) ग्राम शासन

 

★ मौर्यकालीन अर्थव्यवस्था 

कृषि : यह एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था थी। चंद्रगुप्त मौर्य ने सुदर्शन झील का निर्माण कराया। कृषि के लिए सिंचाई करने की व्यवस्था थी। कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी प्रचलित था।

व्यापार :- आंतरिक एवं ब्रह्म दोनों व्यापार प्रचलित थे। सीरिया, मिस्र सभी देशों के साथ समुद्र मार्ग के द्वारा व्यापार होता था।

उद्योग :- कपड़ा उद्योग प्रमुख उद्योग था। कौटिल्य के अनुसार वस्त्र उद्योग के  केंद्र काशी, वत्स, मदुरा और बौंगी में थे।

सिक्के :- बुद्ध काल में आहत (पंचमार्क) सिक्के चलते थे। मौर्य काल में चलने वाले सिक्के, स्वर्ण सिक्के, चांदी के सिक्के एवं लोहे के सिक्के कहलाते थे। टकसाल का अध्यक्ष “लक्ष्णाध्यक्ष एवं सिक्कों के साथ-साथ वस्तु विनिमय भी प्रचलित था।

 

★ शुंग वंस 

मौर्य वंश के अंतिम शासक बृहद्रथ को मारकर उसके प्रधान सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने 184 ईसा पूर्व शुंग वंश की स्थापना की। पुष्यमित्र वीर योद्धा, योग्य सेनापति, चतुर कूटनीतिज्ञ तथा एक महान शासक था। यह जात से ब्राह्मण थे। इसने 36 वर्ष तक शासन किया। कण्व वंस के अंतिम शासक सुशर्मा को परास्त कर सातवाहन वंश के सीमुक ने मगध की राजसत्ता अपने हाथ में ले ली।

 

★ इंडो-ग्रीक (हिंद-यूनानी)

भारत पर आक्रमण करने वाला सर्वप्रथम शासक डेमेटियस था। जिसने पंजाब का एक बड़ा भाग जीता था। उसने अपने साम्राज्य का विस्तार अफगानिस्तान, पंजाब, कठियावाड़, सिंधु, राजपूताना तथा मथुरा तक किया। भारत में सर्वप्रथम सोने के सिक्के जारी करने का श्रेय इंडो-ग्रीक को जाता है।

★ सुदर्शन झील की मरम्मत रुद्रदामन ने किया था।

 

★ सातवाहन 

यह विदेशी न होकर स्वदेशी मूल के थे। कण्व वंश के अंतिम शासक सुशर्मा को मारकर सिमुख ने सातवाहन वंश की स्थापना 60 ईसा पूर्व में की। संभवत: इनके समय माता का विशेष महत्व था इसीलिए सभी शासकों के नाम के आगे माता का नाम मिलता है। सातवाहन काल के राजा कई अभिलेख स्थापित किए। जो इनके इतिहास पर प्रकाश डालती है।

शातकर्णी प्रथम गौतमी पुत्र शातकर्णी वशिष्ठि पुत्र पुलुमावी

 

★ कुषाण वंश 

कुषाण वंश के संस्थापक कुजुल कडफिसेस था। इस वंश का सबसे प्रतापी राजा कनिष्क था। इसकी राजधानी पुरुषपुर या पेशावर थी। कुषाण वंश का महानतम शासक कनिष्का था। जो 78 ई. (गद्दी पर बैठने के समय) में सम्राट बना एवं 101 ई. तक शासन किया। चौथी बौद्ध संगीति कनिष्क के काल में हुई थी।

 

★ गुप्त साम्राज्य

✓ गुप्त वंश का संस्थापक श्रीगुप्त था। गुप्त वंश का प्रथम महान सम्राट चंद्रगुप्त प्रथम था। यह 320 ई. में गद्दी पर बैठा। इसने लिच्छवी राजकुमारी कुमार देवी से विवाह किया।

✓ चंद्रगुप्त प्रथम का उत्तराधिकारी समुद्रगुप्त हुआ। जो 335 ई.  में राजगद्दी पर बैठा। इसने आर्यावर्त के 9 शासकों और दक्षिणावर्ती के 12 शासकों को पराजित किया। इन्हीं विषयों के कारण इसे भारत का नेपोलियन कहा जाता है। समुद्रगुप्त विष्णु का उपासक था।

✓समुद्रगुप्त का उत्तराधिकारी चंद्रगुप्त द्वितीय हुआ। जो 380 ई. में राज गद्दी पर बैठा। चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में चीनी बौद्ध यात्री फाह्यान भारत आया।

✓ चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में 9 विद्वानों निवास करते थे। जिसे नवरत्न कहा जाता है।

✓ चंद्रगुप्त द्वितीय का उत्तराधिकारी कुमारगुप्त प्रथम या गोविंदगुप्ता (415 ई. – 454 ई.)  हुआ। नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना कुमारगुप्त ने की थी। अंतिम गुप्त शासक विष्णुगुप्ता था।

✓ प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी। ग्राम सभा का मुखिया ग्रामीण कहलाता था।

 

★ कला एवं स्थापतय 

गुप्त काल में कला एवं स्थापत्य का अत्यधिक विकास हुआ। गुप्त काल के प्रसिद्ध मंदिर निम्नलिखित हैं—

(i) एरण का विष्णु मंदिर, सागर (मध्य प्रदेश)

(ii) तिगवा का विष्णु मंदिर जबलपुर (मध्य प्रदेश)

(iii) नचना कुठार का पार्वती मन्दिर, अजयगढ़ (मध्य प्रदेश)

(iv) भूमरा का शिव मंदिर, सतना (मध्य प्रदेश)

(v) देवगढ़ का दशावतार मंदिर, ललितपुर (उत्तर प्रदेश)

(vi) सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर, रायपुर (छत्तीसगढ़)

 

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History Chapter 1 Power Test By Kundan Sir

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1. मोहनजोदड़ो किस नदी के किनारे बसा हुआ था

 

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2.  सिंधु सभ्यता में समाज का स्वरूप था

 

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3. पुरातत्व के अंतर्गत निम्न में से कौन एक नहीं है

 

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4. मोहनजोदड़ो की खोज  1922 ई. में किसने की थी।

 

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5. सिंधु सभ्यता की लिपि लिखी जाती थी

 

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6. हल से  जूते खेत के साक्ष्य कहां से मिले हैं

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7.  सिंधु सभ्यता का क्षेत्रफल किस आकार का था

 

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8. सिंधु घाटी सभ्यता के स्थलों में सर्वप्रथम किस स्थल का उत्खनन हुआ था

 

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9. सिंधु सभ्यता में नर्तकी की की मूर्ति कहां से मिली है

 

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10. कालीबंगा भारत के किस राज्य में अवस्थित है

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11. कालीबंगा किस नदी के किनारे अवस्थित था।

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12. हड़प्पा संस्कृति आधारित थी

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13. हड़प्पा सभ्यता के स्थल से स्त्री के गर्भ से पौधा निकलता दिखता है

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14. हड़प्पा सभ्यता का स्वरूप क्या है

 

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15. सिंधु घाटी सभ्यता में विशाल स्नानागार के अवशेष कहां से प्राप्त हुए

 

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16. सिंधु घाटी सभ्यता का कौनसा स्थान “मृतकों का टीला” के रूप में जाना जाता है

 

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17. गंदे पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था सर्वप्रथम किस सभ्यता में देखने को मिलती है

 

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18. सिंधु घाटी के निवासियों को किस धातु का ज्ञान नहीं था

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19. सिंधु सभ्यता में गोदीबारा का प्रमाण कहां से मिला है

 

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20. लोथल किस नदी के किनारे है 

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Ch-2. राजा, किसान और नगर टेस्ट By KUNDAN SIR

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1. जीवक ने वैद्य की शिक्षा कहा से पाई।

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2. अर्थशास्त्र में कितने प्रकार के विवाह का उल्लेख है

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3. पाटलिपुत्र को किस राजा ने सर्वप्रथम अपनी राजधानी बनाई।

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4. समुदरगुप्त की तुलना किस यूरोपीय शासक से की जाती है।

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5. प्रयाग प्रशस्ति की रचना किसने की थी

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6. कालिदास किसके समकालीन थे

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7. द्वितीय नगरीकरण के नगरों को क्या कहा जाता है

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8. मौर्य वंश का अंतिम राजा कौन था

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9. अशोक का व्यक्तिगत धर्म क्या था

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10. मौर्य वंश का संस्थापक कौन था

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11. बिंबिसार का संबंध किस वंश से था

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12. अपने स्वयं के खर्चे से सुदर्शन झील की मरम्मत किसने कराई थी

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13. मौर्य प्रशासन में समाहर्ता कौन था

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14. अशोक ने महेंद्र और संघमित्रा को धर्म प्रचार के लिए किस देश में भेजा।

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15. अर्थशास्त्र के लेखक कौन है

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16. विश्व में पाई जाने वाली पहली धातु कौन थी

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17. सेल्युक्स ने अपनी पुत्री का विवाह किस राजा के साथ किया था।

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18. पाटलिपुत्र नगर की स्थापना उदयिन ने किस नदी के किनारे की थी

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19. किसने लिखा “वास्तविक सुकर्म वह है जिससे प्रजा सुखी तथा संपन्न हो”

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20. उत्तरी पश्चिमी भारत से प्राप्त अशोक के अभिलेखों में लिपि का प्रयोग किया गया है

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21. ”धम्म” की शुरुआत किसने की थी?

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22. भारतीय इतिहास का कौन सा काल स्वर्ण काल कहलाता है

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