गोधूली [ हिंदी ]
Class 10th Chapter 2
विष के दाॅंत : नलिन विलोचन शर्मा
पाठ का प्रश्न-उत्तर ( Subjective Question )
1. कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर :- यह कहानी नलिन विलोचन शर्मा द्वारा रचित विष के दाॅंत पाठ से लिया गया है। यह एक सार्थक कहानी है। हम जानते हैं कि सांप के दांतों में दो विष होते हैं। यदि वह दांत टूट जाता है तो वह विषहीन हो जाता है उसी प्रकार मदन ने काशू के दो दांत तोड़ डाले।
2. सेन साहब के परिवार में बच्चे के पालन-पोषण में किए जा रहे हैं लिंग आधारित भेदभाव का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए
उत्तर :- सेन साहब के परिवार में पाँच बेटी और एक बेटा है। सेन साहब पत्नी सहित बेटा को अधिक प्यार करते हैं। अगर कोई गलती भी बेटा कर देता तो उनको आनन्द आता था । क्योंकी उसे इंजीनियर बनाने का दिवास्वप्न जो देख रहे थे। परन्तु बेटी तो उनके हाथ की मानो कठपुतली हो। हरेक समय माता-पिता की आज्ञा के पालन में तत्पर रहा करती थी। सभ्य और सुशील बेटी के प्रति उतना प्यार नहीं दिखता जैसा कि बेटा के प्रति प्रेम था। खान-पान में भी काशू जो चाहता उसे मिल जाता परन्तु बेटियों के लिए ऐसा नहीं था। इससे स्पष्ट था कि सेन साहब के परिवार में लिंग में भेदभाव है साथ ही साथ हमारे समाज में भी ऐसा ही होता है
3. खोखा किन मामलों में अपवाद था ?
उत्तर :- खोखा जीवन के नियम और घर के नियमों के मामले में अपवाद था।
4. सेन दंपती खोखा में कैसी संभावनाएँ देखते थे और उन संभावनाओं के लिए उन्होंने उसकी कैसी शिक्षा तय की थी ?
उत्तर – सेन दंपति अपने खोखा बेटे का व्यवहार से एवं उसके तोड़-फोड़ की हरकतों से इंजीनियर बनने की सम्भावनाएँ देखते थे। उन संभावनाओं के लिए उन्होंने उसकी शिक्षा के लिए बढ़ई मिस्त्री को बुलवाकर ठोक-ठाक सिखाने के लिए तय किया था।
5. सप्रसंग व्याख्या कीजिए –
(क) लड़कियाँ क्या हैं, कठपुतलियाँ हैं और उनके माता-पिता को इस बात का गर्व है।
उत्तर :- प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्य पुस्तक “गोधूली” भाग – 2 के गद्य खंड के “विष के दाँत” शीर्षक कहानी से लिया गया है जिसके कहानीकार “नलिन विलोचन शर्मा” हैं। यह कहानी सेन साहब के पाँचों लड़कियाँ अत्यन्त सुशील, सभ्य और अनुशासित हैं । इसी पर कहते हैं की- “लड़कियाँ क्या हैं, कठपुतलियाँ हैं और उनके माता-पिता को इस बात का गर्व है।”
अर्थात् पाँचों लड़कियाँ माता-पिता के कथनानुसार और इशारे पर चलने वाली हैं। पाँचों बच्ची पर सेन दंपति को गर्व है।
(ख) खोखा के दुर्ललित स्वभाव के अनुसार ही सेनों ने सिद्धांतों को भी बदल लिया था।
उत्तर :- यह कहानी सेन दंपति के लाड-प्यार से बिगड़ा हुआ। एकमात्र पुत्र के पक्ष में कहा है जिसे सेन दंपति इंजीनियर बनाना चाहते थे। जिसका कारण था कि खोखा तोड़-फोड़ में अधिक आनन्द पाता था। इसलिए “खोखा के दुर्ललित स्वभाव के अनुसार ही सेनों ने सिद्धांतों की भी बदल लिया था।”
(ग) ऐसे ही लड़के आगे चलकर गुंडे, चोर और डाकू बनते हैं।
उत्तर :- प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्य पुस्तक “गोधूली” भाग – 2 के गद्य खंड के “विष के दाँत” शीर्षक कहानी से लिया गया है जिसके कहानीकार “नलिन विलोचन शर्मा” हैं।” कहानी प्रसंग में जब मदन सेन साहब की गाड़ी छुना चाह रहा था तब ड्राइवर और मदन की माँ में बहस होने लगा और बहस सुनकर सेन साहब घर से निकलकर मदन की माँ को, मदन को ले जाने के लिए कह ही दिया। इससे उनका गुस्सा शांत नहीं हुआ तो मदन के पिता गिरधर लाल को बुलवाकर कहा- देखो गिरधर मदन आजकल बहुत शोख हो गया। गाड़ी भी गंदा किया, साथ-साथ ड्राईवर को भी मारने दौड़ा। “ऐसे ही लड़के आगे चलकर गुण्डे, चोर और डाकू बनते हैं।”
(घ) हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया।
उत्तर :- प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्य पुस्तक “गोधूली ” भाग – 2 के गद्य खंड के “विष के दाँत ” शीर्षक पाठ से ली गयी है । यह कहानी ” श्री नलिन विलोचन शर्मा” जी की रचना है । कहानी के संदर्भ में मदन गली के बच्चों के साथ लट्टु नचा रहा है । सेन साहब का खोखा भी वहाँ आ गया। उसका भी मन लट्टु को नचाने के लिए मन है। यहाँ पर कहानीकार ने काशू को हंस और मदन सहित साथियों को कौओं का झुंड की उपमा देकर व्यंग्यात्मक दृष्टि से कहा- हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया।
6. सेन साहब के और उनके मित्रों के बीच क्या बातचीत हुई और पत्रकार मित्र ने उन्हें किस तरह उत्तर दिया ?
उत्तर :- सेन साहब के ड्राइंग रूम में सेन साहब के कुछ मित्रगण के साथ-साथ एक पत्रकार मित्र भी उपस्थित थे। सभी परस्पर बातचीत कर रहे थे कि किसका बेटा क्या कर रहा है। आगे क्या पढ़ेगा। सेन साहब तो बिना पूछे ही अपने खोखा को इंजीनियर बनाने की बात कह डाली। जब पत्रकार मित्र से पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया- “मैं चाहता हूँ मेरा बेटा जेंटिलमैंन जरूर बने और जो कुछ बने, उसका काम है, उसे पूरी आजादी रहेगी।”
7. मदन और ड्राइवर के बीच के विवाद के द्वारा कहानीकार क्या बताना चाहता है ?
उत्तर :- मदन और ड्राइवर के बीच का विवाद के माध्यम से कहानीकार यह बताना चाहता है कि जनसाधारण भी वैसा ही बन जाता जैसा कि उसकी संगति होती है । ड्राइवर सेन साहब का नमक खाता है इसलिए सेन साहब के बेटे की बदमाशी की ओर नजर अंदाज कर देता है। लेकिन एक दूसरा बच्चा को यदि गाड़ी छुने की ललक हो तो उसको धकेल दिया जाता है। उलटे उस पर गलत आरोप लगा देता है।
8. काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण क्या था ? इस प्रसंग के द्वारा लेखक क्या दिखाना चाहता है ?
उत्तर :- काशू और मदन के बीच झगड़े के कारण मात्र बाल हट्ठ था । यदि मदन को काशू की गाड़ी को स्पर्श करने का भी अधिकार नहीं तो काशू को मदन का लट्टु भी नचाने का अधिकार नहीं । लेकिन काशू रौव दिखाकर लट्टु नचाना चाहता है जो मदन के विचार से गलत था । फिर मदन की प्रतिशोध की भावना ने झगड़े का रूप ले लिया । इस प्रसंग के द्वारा कहानीकार यह दर्शाना चाहते हैं कि बच्चों में भी प्रतिशोध की भावना जगती है। बच्चा में यह ज्ञान नहीं होता कि कोई बच्चा बड़े बाप का बेटा है, मैं गरीब बाप का बेटा हूँ। जो बच्चों का स्वाभाविक ज्ञान
9. ‘महल और झोपड़ी वालों की लड़ाई में अक्सर महल वाले ही जीतते हैं, पर उसी हालत में जब दूसरे झोपड़ी वाले उनकी मदद अपने ही खिलाफ करते हैं।’ लेखक के इस कथन को कहानी से एक उदाहरण देकर पुष्ट कीजिए ।
उत्तर – महल और झोपड़ी वालों की लड़ाई अर्थात् काशू और मदन की लड़ाई में मदन के अन्य मित्रों ने काशू की मदद नहीं की और परिणाम काशू (महल वाला) हारता है । यदि मदन के मित्र बालक काशू को मदद करता तो काशू ही जीतता। प्रायः यही देखा जाता है कि झोपड़ी में रहने वाले लोग अपने ही खिलाफ आवाज लगाते हैं। परिणाम झोपड़ी वाला पराजित हो जाता है ।
10. रोज-रोज अपने बेटे मदन की पिटाई करने वाला गिरधर मदन द्वारा काशू की पिटाई करने पर उसे दंडित करने की बजाय अपनी छाती से क्यों लगा लेता है ?
उत्तर :- रोज-रोज बेटे मदन की पिटाई करने वाला गिरधर मदन द्वारा काशू की पिटाई करने पर दंडित नहीं किया बल्कि उसको अपने छाती से लगा लिया। क्योंकि सेन साहब ने गिरधर को बेवजह नौकरी से निकाला, घर खाली करने का आदेश दिया जो गिरधर के साथ अन्यायं था। गलती काशू ने किया, दण्ड काशू को मिलना चाहिए। सेन साहब ने गिरधर के साथ जो अन्याय किया, उसका दंड सेन साहब को मिलना चाहिए था। गिरधर सेन साहब को दंडित कर सकता था लेकिन वह ऐसा नहीं कर सका । लेकिन उसका बेटा मदन काशू को दंडित कर उचित कार्य किया। इसलिए वह अपने बेटे मदन को छाती से लगाकर उचित कार्य के लिए शाबाश कहता है और खुशी जाहिर करता है ।
11. सेन साहब, मदन, काशू और गिरधर का चरित्र चित्रण करें ।
12. आपकी दृष्टि में कहानी का नायक कौन है ? तर्कपूर्ण उत्तर दें।
उत्तर :- हमारी दृष्टि से कहानी का नायक काशू है। क्योंकि सेन दम्पति काशू के प्रति स्वप्न देखते हैं। काशू के दुर्लिलत भाव के कारण ही सेन साहब की गाड़ी की बत्ती टूटती है। सेन मित्रों के गाड़ी की हवा निकाली जाती है। काशू के कारण ही निर्दोष गिरधर की नौकरी समाप्त हुई। काशू के नटखट स्वभाव के कारण ही सेन साहब को मित्रों के बीच मन मसोस कर रह जाता है तथा काशू के लाड प्यार के सामने सेन साहब की पुत्रियाँ कुछ नहीं हैं । काशू के ही दाँत भी टूटते हैं जिसे “विष के दाँत” की संज्ञा दी गई है।
13. आरंभ से ही कहानीकार का स्वर व्यंग्यपूर्ण है। ऐसे कुछ प्रमाण उपस्थित करें
उत्तर :- आरंभ से कहानीकार का स्वर व्यंग्यपूर्ण हैं । इसके प्रमाण में कहानीकार की उक्ति गाड़ी के पक्ष में “जैसे कोयल घोंसले से कब उड़ जाएँ ।” सेन साहब की पुत्रियों के प्रति व्यंग्यपूर्ण उक्ति में कहानीकार ने कहा है – “वे ऐसी मुस्कराहट अपने होठों पर ला सकती हैं कि सोसाइटी की तारिकाएँ भी उनसे कुछ सीखना चाहें तो सीख लें। “कहानी में वहाँ भी कहानीकार ने व्यंग्य किया है जहाँ काशू मदन की जमात में लट्टु नचाने जा पहुँचता है उस समय कहानीकार की उक्ति – “हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया।” इत्यादि ।
14. ‘विष के दाँत’ कहानी का सारांश लिखें ।
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