Geography Chapter 4 Notes In Hindi 12th
Geography – भूगोल
Class 12th Chapter 4
प्राथमिक क्रियाएं
Full Chapter Explanation With Notes
★ मानव क्रिया (Human Action)
मानव द्वारा वे कार्यकलाप जिसके द्वारा आय प्राप्त होती है। उसे हम आर्थिक क्रिया कहते हैं।
★ आर्थिक क्रिया :– आर्थिक क्रिया मुख्यत: चार प्रकार के होते हैं।
प्राथमिक क्रियाएं :- कृषि, मछली पकड़ना, पशुचारण, आखेट आदि
द्वितीयक क्रियाएं :- विनिर्मण (गेहूं से आटा तैयार करना)
तृतीयक क्रियाएं :- परिवहन, संचार, सेवाएं आदि
चतुर्थक क्रियाएं :- सुरक्षा, शिक्षा, प्रौद्योगिकी आदि
(पंचम क्रियाएं :- स्वर्ण कॉलर)
★ आखेट एवं भोजन संग्रह (Hunting and Food Collection)
मानव आरंभिक युग में अपने जीवन निर्वाह के लिए समीपवर्ती वातावरण पर निर्भर रहता था। मानव दो तरह से जीवन निर्वाह करता था।
(i) पशुओं का आखेट करके
(ii) अपने समीपवर्ती जंगलों से खाने योग्य कंद मूल्य एवं जंगली पौधे आदि
(✓) मानव अपना भोजन संग्रह दो क्षेत्रों से करता हैं।
(i) निम्न अक्षांश के क्षेत्र :– अमेजन बेसिन, उष्णकटिबंधीय अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया एवं दक्षिण पूर्व एशिया में।
(ii) उच्च अक्षांश के क्षेत्र :– उत्तरी कनाडा, उत्तरी यूरेशिया एवं दक्षिणी चिली
★ पशुचारण (Pastoral)
आरंभिक युग में मानव आखेट पर निर्भर रहने वाले यह महसूस किया कि आखेट से ही भरण-पोषण नहीं किया जा सकता। तब मानव ने पशुपालन के विषय में सोचा।
★ चलवासी पशुचारण (Nomadic Pastoralist)
चलवासी पशुचारण मानव के लिए प्राचीन जीवन निर्वाह व्यवसाय रहा है। जिसमें पशुचारक अपने भोजन, वस्त्र, सरन, औजार एवं यातायात के लिए पशुओं पर ही निर्भर रहता था। मानव पालतू पशुओं के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित होते रहते थे। सभी जगह के पशुचारक अलग-अलग थे।
(✓) उष्णकटिबंधीय अफ्रीका में गाय, बैल प्रमुख पशु है।
(✓) सहारा एंव एशिया के मरुस्थल में भेड़, बकरी एवं ऊंट पाला जाता है।
★ ऋतु प्रवास :– मानव पशुचारक समतल भागों एवं पर्वतीय क्षेत्रों में लंबी दूरी तय करते हैं।
गर्मीयों :– गर्मियों में मैदानी भाग से पर्वतीय चरागाह की ओर चले जाते हैं।
शीत :– पर्वतीय भाग से मैदानी चारागाह की ओर प्रवास करते हैं। इन्ही सब गतिविधियों को ऋतु प्रवास कहा जाता है।
★ वाणिज्य पशुधन पालन (Commercial Livestock Rearing)
यह व्यवस्था चलवासी पशुचारण की अपेक्षा वाणिज्य पशुधन पालन व्यवस्थित एवं पूंजी प्रधान होता है। इसमें एक विशाल फार्म में फैला होता है। इसमें केवल एक ही प्रकार के पशुपालन किए जाते हैं। प्रमुख पशुओं में भेड़, बकरी, गाय-बैल एवं घोड़े हैं। इन सभी पशुओं से मांस, खालें एवं उनको विश्व में न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटाइन, युरुगवे एवं संयुक्त राज्य अमेरिका में वाणिज्य पशुपालन किया जाता है।
★ कृषि (Agriculture)
विश्व में मानव द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में भौतिक, सामाजिक एवं आर्थिक कृषि कार्य को प्रभावित करती है। विश्व में कृषि अनेक प्रकार के किए जाते हैं।
★ निर्वाह कृषि (Subsistence Agriculture)
इस क्षेत्र के लोगों स्थानीय उत्पादों का संपूर्ण उपयोग करते हैं। यह दो भागों में बटा हुआ है।
(i) आदिकालीन निर्वाह कृषि
(ii) गहन निर्वाह कृषि
★ आदिकालीन निर्वाह कृषि, झूम की खेती, स्थानांतरणशील कृषि
यह एक ऐसा कृषि है जिसमें आदिम लोग कृषि करते हैं। इसमें मनुष्य एक जगह को वनस्पति को काटकर जला देता है। तब उस स्थान पर कृषि किया जाता है। जब उसकी उर्वरता कम हो जाती है। तो उस स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर चले जाते हैं। फिर वही प्रक्रिया वहां पर भी दर्शाते हैं। फिर वहां से छोड़कर पहले वाले स्थान पर आ जाते हैं। इससे जमीन की उर्वरता में कमी आ जाती है। यह कृषि अफ्रीका, दक्षीणी एवं मध्य अमेरिका व उष्णकटिबंधीय भाग एवं दक्षिण पूर्वी एशिया में होता है।
★ गहन निर्वाह कृषि (Intensive Subsistence Agriculture)
यह कृषि मानसून एशिया के घने बसे देशों में की जाती हैं। गहन निर्वाह कृषि दो प्रकार के होते हैं। जैसे भारत, पकिस्तान आदि
(i) चावल प्रधान गहन निर्वाह कृषि :– गहन निर्वाह कृषि में चावल सबसे महत्वपूर्ण फसल होती है। तथा अधिक जनसंख्या होने के कारण खेतों का आकार बहुत ही छोटा होता है। चावल की खेती करने में कृषक का संपूर्ण परिवार लगा रहता है। खेत की उर्वरता बनाए रखने के लिए गोबर का प्रयोग करते हैं।
(ii) चावल रहित गहन निर्वाह कृषि :– इसमें एशिया के अनेक भागों में जलवायु, मृदा एवं अन्य भौगोलिक कारणों से धान की फसल उपजाना असंभव है। लेकिन उस क्षेत्र में गेहूं, सोयाबीन, जौ, बाजरा, ज्वार प्रमुख फसलें उगाए जाते हैं।
★ रोपण कृषि (Plantation Agriculture)
रोपण कृषि की शुरुआत यूरोपीय लोगों ने अनेक भागों में स्थापना की। यूरोपीय लोगों ने उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में चाय, कॉफी, कोको, रब्बर, कपास गन्ना, केले, एवं अनन्नास की पौधे लगाए।
यह कृषि विस्तृत आकार में फैला होता है। इसमें पूंजी के उच्च प्रबंध एवं तकनीकी आधार पर वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करके किया जाता है। इसमें बड़े-बड़े बागान अनेक देश में होते हैं जैसे :-
(✓) फ्रांसीसिवासी पश्चिम अफ्रीका में कॉपी एवं कोको का पौधा लगाएं
(✓) ब्रिटेन वासियों ने भारत एवं श्रीलंका में चाय के बागान लगाएं।
(✓) मलेशिया में रबड़ के बागान
(✓) पश्चिम दीप समूह में गन्ना एवं केले के बागान लगाएं
(✓) स्पेन एवं अमेरिकावासियों ने फिलीपींस में नारियल व गन्ने के बागान लगाएं।
(✓) इंडोनेशिया में गन्ने की कृषि हॉलैंडवासियों का अधिकार था।
(✓) ब्राजील में कॉफी के बागान जिन्हें फेजेंडा कहा जाता है।
★ विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि (Extensive Commercial Grain Agriculture)
विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि अर्ध शुष्क प्रदेशों में किया जाता है। इसकी प्रमुख फसल गेहूं है। साथ ही साथ अन्य फसलें जैसे मक्का, जौ, राई एवं जई भी बोई जाती है। इसमें सारा काम मशीनों के द्वारा किया जाता है।
★ मिश्रित कृषि (Mixed Farming)
यह एक ऐसा कृषि है। जिसमें मनुष्य के साथ-साथ पशुओं का भी भरण पोषण होता है। उसे हम मिश्रित कृषि कहते हैं। जैसे गेहूं, जौ, राई, जई, मक्का तथा मवेशी, भेड़, सूअर तथा अन्य जानवर ये सब मिश्रित कृषि में आते है।
★ डेयरी कृषि (Dairy Farming)
यह डेयरी कृषि दुधारू पशुओं के पालन पोषण पर निर्भर है। जिसमें अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है। साथ ही साथ इसमें श्रमिकों की अधिक आवश्यकता होती है क्योंकि उसे घास देने, उसके गोबर हटाने के लिए। इसका व्यापार अधिकतर शहरों में किया जाता है लेकिन आने वाले समय में सभी जगह होने लगेगा है।
★ भूमध्यसागरीय कृषि (Mediterranean Agriculture)
भूमध्यसागरीय कृषि अति विशिष्ट प्रकार के कृषि है। जो दक्षिण यूरोप से उत्तरी अफ्रीका में ट्यूनीशिया से अंटार्कटिक तब तक फैला हुआ है। इसमें खट्टे फलों की आपूर्ति करने में यह क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें अंगूर की खेती की जाती है।
★ बाजार के लिए सब्जी खेती एवं उद्यान कृषि (Vegetable Farming & Horticulture for Market)
इस कृषि में अधिक मुद्रा मिलने वाली फसलें जैसे सब्जी, फल एवं पुष्प लगाए जाते हैं। जिनकी मांग शहर में अधिक होती है। इसमें खेतों का आकार छोटा होता है। इस कृषि में अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है। साथ ही साथ सिंचाई, उर्वरक, अच्छी किस्म के बीज, कीटनाशी, हरित गृह एवं शीत क्षेत्रों में किया जाता है। यह कृषि उत्तरी पश्चिमी यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका के उत्तरी पूर्वी भाग एवं भूमध्य सागरी प्रदेश में अधिक विकसित है।
★ सहकारी कृषि (Cooperative Agriculture)
कृषक का एक समूह अपनी कृषि से अधिक लाभ कमाने के लिए अपनी इच्छा से सहकारी संस्था बनाकर कृषि कार्य करते हैं। उसे हम सहकारी कृषि कहते हैं। यह कृषि पश्चिमी यूरोप के डेनमार्क, नीदरलैंड, बेल्जियम, स्वीडन एवं इटली में सफलतापूर्वक चला।
★ सामूहिक कृषि (Collective Farming)
सामूहिक ऋषि उसे कहते हैं जिसमें समाज एवं सामूहिक शर्म पर आधारित होता है। उसे हम सामूहिक कृषि कहते हैं यह कृषि पूर्व सोवियत संघ में आरंभ हुआ तथा कोलखहोज नाम दिया।
★ खनन (Mining)
मानव ने आरंभिक इतिहास में खनिजों की खोज कई तरीकों से किया। जैसे ताम्र युग, कांस्य युग एवं लौह युग। साथ ही प्राचीन काल में खनिजों का उपयोग औजार बनाने, बर्तन बनाने तथा हथियार बनाने के लिए किया जाता था। औद्योगिक क्रांति के बाद मशीन का भी उपयोग करना स्टार्ट हो गया।
(✓) खनन के द्वारा अनेक प्रकार की मशीन का निर्माण किया गया।
🔥🔥 Most Important Point 🔥🔥
☆. रोपण कृषि :- चाय, कांफी, कोको, कपास, गन्ना आदि
☆. विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि :- गेहूं, अलुवा, मक्का, जौ, राई, जई आदि
☆. मिश्रित कृषि :- [i] प्रमुख फसलें :- गेहूं, जौ, राई, जई, मक्का, चारे आदि
[ii] प्रमुख पशु :- मवेशी, भेड़, सुअर, आदि
☆ उदयान कृषि :- सब्जी, फल, पुष्प आदि
☆ डेरी कृषि :- दूध, दही, मक्खन, पनीर, पौष्टिक आदि
☆ भूमध्यसागरीय कृषि :- खट्टे फल जैसे:- अंगूर, इमली
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