Class 12th History Chapter 1 Notes In Hindi || ईंट, मनके तथा अस्थियां : हड़प्पा सभ्यता || History By Kundan Sir

 

History- इतिहास

Class 12th                   Chapter 1

ईंट, मनके तथा अस्थियां : हड़प्पा सभ्यता

Full Chapter Explanation With Notes 

 

 

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★ हड़प्पा सभ्यता का परिचय (Introduction Of Harappan Civilization) 

आज से लगभग 5000 वर्ष पहले सिंधु नदी के तट पर स्थित सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की प्रारंभिक चार सभ्यताओं में से एक थी। यह एक नगरीय सभ्यता थी। पुरातत्व के द्वारा सर्वप्रथम हड़प्पा नगर की खोज की गई थी। इसीलिए इसे हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है। हड़प्पा पंजाब के मोंटगोमरी जिले में था। हरप्पा सभ्यता के बाद अन्य नगरों का भी खोज किया। जैसे मोहनजोदड़ो, चन्हूदड़ो, लोथल, कालीबंगा, रंगपुर, रोपड़, आलमगीरपुर आदि अनेकानेक नगरों की खोज की । यह पूरी सभ्यता एक त्रिभुजाकार क्षेत्र में फैली हुई थी। इन्हीं सामग्री एवं सभ्यताओं के बारे में विस्तृत में चर्चा करेंगे। 

 

★ पुरातत्व क्या है? ( What Is Archaeology) 

पुरातत्व वह विज्ञान है जिसके माध्यम से पृथ्वी के गर्भ में छिपी हुई सामग्रियों की खुदाई कर अतीत के लोगों के भौतिक जीवन का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। इसके अंतर्गत खुदाई में प्राप्त सिक्के, अभिलेख, खंडहर व स्मारक आदि की गणना की गई है। किसी भी जाति की सभ्यता का इतिहास प्राप्त करने का पुरातत्व एक प्रमुख साधन है। उसी के आधार पर हड़प्पा सभ्यता या सिंधु घाटी सभ्यता की कहानी लिखी गई है। 

 

 

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★ पुरात्विक उत्खनन ( Archaeological Exploration) 

पुरात्विक उत्खनन से प्राचीनतम सभ्यताओं का पता चलता है। पुरात्विक वस्तुओं जितनी गहराई पर होती है। वह उतनी ही प्राचीन होती है। इसे सबसे पहले पिट रिबर्स महोदय ने पुरात्विक स्तरीकरण के वैज्ञानिक अध्ययन की नींव मिस्र (Egypt) में डाली थी। 15 जनवरी 1784 ई. को विलियम जॉन्स ने कोलकाता में एशियाटिक सोसाइटी की स्थापना की। यहीं से भारत का इतिहास जानने हेतु पुरात्विक अन्वेषण का आरंभ किया गया। 1861 ई. में भारत में पुरातत्व विभाग की स्थापना हुई। और कनिंघम महोदय को इसका डायरेक्टर नियुक्त किया गया। फिर बाद में 1902 में सर जॉन मार्शल को डायरेक्टर जनरल बने। इन्हीं के समय रायबहादुर दयाराम साहनी और राखल दास बनर्जी ने हड़प्पा और मोहनजोदड़ो स्थल की खोज की थी। 

 

★ हड़प्पा सभ्यता की खोज की कहानी ( Story Of The Discovery Of Harappan Civilization) 

सर्वप्रथम हड़प्पा सभ्यता की खोज 1826 ई. में चार्ल्स मैसन द्वारा किया गया था। जो कि 1856 ई. में कराची से लाहौर तक रेललाइन बिछाने के दौरान हुई खुदाई में जान ब्रंटन एवं विलियम ब्रंटन नामक अंग्रेजों को कुछ पुरात्विक अवशेष प्राप्त हुए। 1873 ई. में जनरल कनिंघम को भी कुछ हड़प्पाई वस्तुएं प्राप्त हुई। 1912 ई. में जे. एफ. महोदय ने यहां प्राप्त वस्तुओं के आधार पर एक लेख लिखा। कनिंघम एवं फ्लीट हड़प्पा सभ्यता का ख़ोज करने में असमर्थ रहे। सर जॉन मार्शल की अध्यक्षता में हड़प्पा सभ्यता की खोज 1921 ई. में रायबहादुर दयाराम साहनी द्वारा किया गया था। इस सभ्यता की खोज पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में रावी नदी के तट पर स्थित हड़प्पा नामक स्थल पर की गई थी। और उसके अगले वर्ष में ही राखल दास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो का उत्खनन 1922 ई. में पाकिस्तान के लरकाना जिले में सिंधु नदी के तट पर किया था। इस प्रकार हड़प्पा सभ्यता का उद्भव हुआ और फिर बाद में एक के बाद एक नगर की खोज हुए। पिगट महोदय ने हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो को एक विस्तृत साम्राज्य की जुड़वा राजधानी बताया है इनके बीच की दूरी 670 किलोमीटर है। 

 

★ हड़प्पा सभ्यता का विस्तार (Extension Of Harappan Civilization) 

रंगनाथ राव महोदय के अनुसर हड़प्पा सभ्यता का कुल क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किमी. है। और इस सभ्यता का विस्तार उत्तर से दक्षिण तक 1100 किमी. तथा पूर्व से पश्चिम तक 1600 किमी. है। यह सभ्यता एक त्रिभुजाकार क्षेत्र में विस्तृत है। यह सभ्यता उत्तर में जम्मू के अखनूर से लेकर दक्षिण में नर्मदा नदी के तट तक एवं पश्चिम में बलूचिस्तान के मकराना समुद्र तट से लेकर उत्तर पूर्व में मेरठ तक विस्तृत है। 

 

★ हड़प्पा सभ्यता का काल ( Period Of Harappan Civilization) 

हड़प्पा सभ्यता के काल को लेकर विभिन्न विद्वानों में मतभेद है विद्वानों ने 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व तक इस सभ्यता का काल निर्धारण किया है। इस सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता भी कहते हैं। 

 

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★ कार्बन -14 विधि (Carbon-14 Method) 

तिथि निर्धारण की वैज्ञानिक विधि को कार्बन 14 विधि कहां जाता है इस विधि की खोज अमेरिका के प्रख्यात रसायनशास्त्री बी. एफ. लिवि द्वारा सन 1946 ई. में की गई थी। इस विधि के अनुसार किसी भी जीवित वस्तु में कार्बन 12 एवं कार्बन 14 समान मात्रा में पाया जाता है। मुत्यु अथवा विनाश की अवस्था में कार्बन 12 एवं कार्बन 14 निरंतर छय होने लगता है। जिस पदार्थ में कार्बन 14 के मात्रा जितनी कम होती है वह उतना ही प्राचीनतम लिपस्टिकमाना जाता है। पदार्थों में कार्बन 14 के छय की प्रक्रिया को रेडियोधर्मिता (RadioActivity) कहा जाता है

 

★ हड़प्पा नगरों से प्राप्त वस्तुएं ( Things Found From Harrapan Cities) 

 

★ मोहनजोदड़ो :- मोहनजोदड़ो सिंधी भाषा का एक शब्द है। जिसका अर्थ होता है। मृतकों का टीला। इसे सिंध का बाग भी कहा जाता है। मोहनजोदड़ो के आस-पास की भूमि बहुत ही उपजाऊ थी। मोहनजोदड़ो में अनेक वस्तुएं मिली हैं जैसे :-1398 मुहरें, पुजारी का सिर, मोम के सांचे, कांस्य की नर्तकी, सभागार, सीप का पैमान, सूती कपड़े के अवशेष, पानी का जहाज, हाथी का कपाल, शिलाजीत, गाड़ी के पहिए, मेसोपोटामिया की मोहरे, दाढ़ी वाले मनुष्य की प्रतिमा, हाथी दांत की तराजू, पशुपति की मुद्रा आदि वस्तुएं प्राप्त हुई है। 

 

★ हड़प्पा :- हड़प्पा सभ्यता से स्त्रियों की लघु मृण्मूर्तियाॅं, स्त्री की मूर्ति जिसके गर्भ से पौधा निकलता हुआ दिखता है, पत्थर के शोश्न व योनि, ठोस पहिए वाली गाड़ी, प्रसाधन मंजूषा, RH-37 कब्रिस्तान, लकड़ी का हल, लेख युक्त बर्तन, मुखौटे, शंख का बैल, तांबे की मोहरे, जौ, गेहूं की भूसी, मटर व तिल की खेती के प्रमाण एवं खरगोश के चित्र वाली मुद्रा मिली है। 

★ चन्हूदड़ों :- चन्हूदड़ों से मनके बनाने का कारखाना, अलंकृत हाथी, शवान, पीतल की बत्तख, लिपिस्टिक, तराजू एवं बैलगाड़ी आदि मिले हैं यह मोहनजोदड़ो से 128 किलोमीटर दूर स्थित है।

★ लोथल :- यहां से फारस की मोहरें, धान व बाजरे की खेती के प्रमाण, आटा पीसने वाली चक्की, हाथी दांत का पैमाना, मनको का कारखाना, कुत्ते की मूर्ति, बकरी की हड्डियां, तीन युगल सावधान एवं गोदी (बंदरगाह) के प्रमाण मिले हैं 

 

★ कालीबंगान :- यहां से अग्निकुंड, बेलनाकार मोहरे, अलंकृत फर्श, तांबे के बैल की मूर्ति, लकड़ी की नाली, नक्काशीदार ईंटे, मास्तिष्क शोथ की बीमारी वाला कपाल, हल से जूते खेत के साक्ष्य एवं भूकंप के प्राचीनतम प्रमाण मिले हैं। 

★ बनावली :- यहां से चक्राकार अंगूठियां, नाक व कान की बालियां, मछली पकड़ने का कांटा एवं मिट्टी के बने खिलौने आदि मिले हैं। 

 

★ हड़प्पा सभ्यता की सीमा :-

उत्तरी सीमा :- सरायखोला, गुमला घाटी, डाबर कोट।

दक्षिणी सीमा :- मालवण (ताप्ती नदी घाटी), भगवत राय (नर्मदा घाटी) ।

पूर्वी सीमा :- आलमगीरपुर (हिंडन नदी के किनारे)

पश्चिमी सीमा :- सुत्कांगेडोर (मकरान का समुद्री तट) 

हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख केंद्र सीमा :- 

1. जम्मू में अखनूर एवं मांडा 2. पंजाब (भारत) में रोपड़, संधोल 3. पंजाब (पाकिस्तान) में हड़प्पा 4. गुजरात में रंगपुर, लोथल, सुरकोतड़ा, मालवड़, रोवड़ी 5. राजस्थान में कालीबंगान 6. उत्तर प्रदेश में आलमगीरपुर 7. हरियाणा में मितांथल, वनबाली, राखीगढ़ी 8. बलूचिस्तान (पाकिस्तान) में डाबरकोट, सुत्काकोह, सुत्कांगेडोर 9. सिंध (पाकिस्तान) में मोहनजोदड़ो, कोटदीजी, अलीमुराद, चन्हूदड़ों आदि। 

★ नगर योजना (Town Planning) 

हड़प्पा संस्कृति की सर्वप्रमुख विशेषता इसका नगर योजना है। हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो की खुदाई में पूर्व तथा पश्चिम में दो टीले मिलते हैं। एक भाग छोटा लेकिन ऊंचाई पर बना होता था तो नगर का दूसरा भाग कहीं अधिक बड़ा परन्तु नीचे बनाया गया था। ऊँचें भाग को दुर्ग और निचले भाग को शहर का नाम दिया गया। 

 

1. सड़क व्यवस्था :- मोहनजोदड़ो की एक प्रमुख विशेषता उसकी समतल एवं चौरी सड़के थीं। यहां के सड़क 9.15 मीटर चौड़ी थी। जिसे पुराविदों ने राजपथ कहा है। अन्य सड़कों की चौड़ाई 2.75 से 3.66 मीटर तक थी। जल पद्धति के आधार पर नगर नियोजन होने के कारण सड़के एक-दूसरे को समकोण पर काटती थी। सड़के मिट्टी की बनी होती थी। जिनकी सफाई की समुचित व्यवस्था थी। 

2. जल निकासी प्रणाली :- मोहनजोदड़ो के नगर नियोजन की एक और प्रमुख विशेषता यहां की प्रभावशाली जल निकास प्रणाली थी। यहां के अधिकांश भवनों में निजी कुएं व स्नानागार होते थे। भवन के कमरों, रसोई, स्नानागार, शौचालय आदि सभी का पानी भवन की छोटी-छोटी नालियों से निकलकर नाली तक जाती थी। 

 

3. स्नानागार :- यह विशाल स्नानागार मोहनजोदड़ो का एक प्रमुख सार्वजनिक स्थल है। यह विशाल स्नानागार 29 फुट लंबा (11.88 मीटर), 23 फुट चौड़ा (7.01 मीटर) एवं 8 फुट गहरा (2.44 मीटर) है। इसमें उतरने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। संभवतः इस विशाल स्नानागार का उपयोग धार्मिक अनुष्ठान के लिए होता है। इस विशाल स्नानागार के चारों तरफ कमरे बने हुए थे। यह विशाल स्नानागार तत्कालीन विश्व का आश्चर्यजनक माना जाता है। 

4. अन्नागार :- यह अन्नागार मोहनजोदड़ो से ही मिला है। इस अन्नागार की लम्बाई 45.72 मीटर एवं चौराई 22.86 मीटर है। इसका उपयोग अन्न रखने के लिए किया जाता था। 

 

★ नगर नियोजन के वर्तमान संदर्भ में उपयोगिता 

मोहनजोदड़ो एवं हड़प्पा के नगर योजना आज हमारे लिए आश्चर्य का विषय है आज से साढ़े चार हजार वर्ष पहले के लोग नगर नियोजन के प्रति कितने जागरूकता एवं निपुण थे। आज हम कितने भी प्रगतिशील एवं विकसित हो। मगर नगर योजना के अभाव में हमें प्रत्येक बारिश में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु जैसे महानगर नगर योजना के अभाव में बाढ़ की स्थिति का सामना नहीं कर पाते है। यह हालत भारत के 70% नगरों में है। ऐसे में हमें मोहनजोदड़ो एवं हड़प्पा की नगर योजना की ओर आकर्षित करता है। 

 

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★ हड़प्पा सभ्यता के राजनीतिक संगठन का स्वरूप ( Nature Of Political Organization Of Harappan Civilization) 

हड़प्पा सभ्यता के शासन व्यवस्था के बारे में कुछ विशेष जानकारी नहीं मिलती है। उत्खनन के स्वरूप जो कुछ साक्ष्य मिले हैं। उनसे हम इस सभ्यता की राजनीतिक का अनुमान लगाया जा सकता है। अनुमान लगाया गया कि उनका एक राजा था जो संभवत: पुरोहित होता था। जनता से कर के बदले में अनाज लिया जाता था। सिंधु घाटी के शांतिपूर्ण जीवन को देखते हुए हम कह सकते हैं। कि उनका शासन व्यवस्था उच्च कोटी की थी। 

 

★ सामाजिक जीवन ( Social Life) 

हड़प्पा सभ्यता में परंपरागत परिवार ही सामाजिक इकाई थी। उनका सामाजिक जीवन सुखी एवं सुविधापूर्ण था। उत्खनन के समय नारी की मूर्तियां अधिक प्राप्त हुई। इससे हम कह सकते हैं कि यहां मृत सत्तात्मक समाज थी।

हड़प्पावासी समाज की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार थी।

1. हड़प्पा सभ्यता के लोग शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनों प्रकार का भोजन करते थे। 

2. स्त्रियां जुड़ा बांधती थी तथा पुरुष लंबे-लंबे बाल तथा दाढ़ी-मूछ रखते थे। 

3. इस सभ्यता के लोग आभूषणों के शौकीन थे विभिन्न प्रकार के आभूषण पहनते थे। जैसे:- कंठहार, कर्णफूल, हंसुली, भुजबंध, कड़ा, अंगूठी, करधनी आदि पहनते थे। 

4. श्रृंगार प्रसाधन के भी हड़प्पावासियों शौकीन थे। मोहनजोदड़ो की नारियां काजल, पाउडर आदि से परिचित थे। शीशे, कंघे एवं तांबे के दर्पण का प्रयोग होता था। चन्हूदड़ों से लिपस्टिक के अस्तित्व का भी संकेत मिलता है। 

 

★ धार्मिक जीवन (Religious Life) 

हड़प्पा सभ्यता के धार्मिक स्वरूप के बारे में विशेष जानकारी नहीं है। लेकिन उत्खनन से हम कह सकते हैं कि धार्मिक जीवन वहां पर था। 

1. हड़प्पा सभ्यता में मातृदेवी की मूर्तियां मिली है इससे हम कह सकते हैं कि यहां मातृदेवी की पूजा की जाती थी। मातृदेवी आज दुर्गा, काली, चंडी, गौरी आदि नाम से जानी जाती है। 

2. कालीबंगान एवं लोथल से ईंटों की बनी वेदी मिली है। जो अग्नि पूजा का साक्ष्य है। कालीबंगान से हवन कुण्ड से यज्ञ का भी साक्ष्य मिलता है। 

 

★ आर्थिक जिवन (Economic Life) 

हड़प्पा सभ्यता से अनेक प्रकार के आर्थिक जीवन यापन मिले हैं। 

1. कृषि (Agriculture) :- कृषि हड़प्पा सभ्यता के लोगों का मूल आधार था। खेतों की उर्वरता के कारण यहां अनाज की कमी नहीं थी। अनाज रखने के लिए भंडार गृह थे। यहां कपास की खेती ज्यादा होती थी जिससे यहां के लोग कपड़ा बना सकें और इससे व्यापार भी करते थे। 

 

2. पशुपालन (Animal Husbandry) :- कृषि के साथ-साथ हड़प्पावासी के लोग पशुपालन भी करते थे। यहां अनेक प्रकार के जानवर मिले हैं जैसे:-गाय, बैल, भेड़, कुत्ता, हाथी, सूअर, गधा एवं ऊंट यह सब पालतू जानवर थे। 

 

3. व्यापार तथा वाणिज्य ( Trade And Commerce) :- कृषि, पशुपालन, उद्योग के साथ-साथ सैंधव निवासियों की व्यापार तथा वाणिज्य में भी काफी रूचि थी। इस सभ्यता के प्रमुख स्थल हड़प्पा और मोहनजोदड़ो ही व्यापार के प्रसिद्ध केंद्र थे। इनका व्यापार वस्तु विनिमय के माध्यम से होता था। साथ ही साथ अन्य जगहों से व्यापार होता था जैसे: – 

सोना :-अफगानिस्तान, फारस, दक्षिण भारत (कोलार खान)

चांदी :- ईरान, अफगानिस्तान

तांबा :- बलूचिस्तान, अरब, खेतड़ी (राजस्थान) 

सीसा :- ईरान, अफगानिस्तान

सेलखड़ी :- बलूचिस्तान, राजस्थान

सुलेमानी पत्थर :- सौराष्ट्र, पश्चिम भारत

नीलमणि :- महाराष्ट्र 

अलाबास्टर :- बलूचिस्तान

शंख,कोरिया :- सौराष्ट्र, दक्षिण भारत

★ हड़प्पा सभ्यता के नगरों का पतन (Downfall Of Harappan Cities) 

हड़प्पा सभ्यता का पतन किस प्रकार हुआ अभी तक किसी को पूर्ण रूप से पता नहीं है। लेकिन कुछ विद्वानों का कहना है कि हड़प्पा सभ्यता में बाढ़ आई और हड़प्पा सभ्यता का पतन हो गया। लेकिन यह सिद्ध नहीं होता है कि बढ़ा आने से इतना बड़ा नगर समाप्त हो जाए। फिर दुसरे वैज्ञानिक का कहना है की हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में आर्य लोग आए और उसका पूरा धन लूटकर ले गया साथ ही साथ उसे मार दे दिया। 

 

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★ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (Science And Technology) 

हड़प्पा सभ्यता को नगरीय सभ्यता कहा जाता है। यहां से लोग प्रौद्योगिकी में बहुत ही विकसित थे। इसके कुछ उदाहरण :-

1. लिपि :- सिंधु सभ्यता के निवासियों ने एक भाव चित्रात्मक लिपि का आविष्कार किया था। लेकिन इस लिपि को पढ़ने में विद्वान असमर्थ रहे हैं इसकी लिपि दाएं से बाएं की ओर लिखा जाता था। 

 

2. वाहन :- मोहनजोदड़ो से बैलगाड़ी का खिलौना मिला है। इससे हम यह कह सकते हैं कि यहां के लोग वाहन का भी निर्माण किए थे। 

3. हड़प्पावासियों द्वारा वृहद सिंचाई के साधन :- हड़प्पावासी जलाशय,कुओं एवं नेहरू द्वारा सिंचाई करते थे। 

4. हड़प्पा सभ्यता को कांस्ययुगीन सभ्यता भी कहा जाता है। 

 

आगे  आपको जो भी अध्याय पढना है उसपे Click करके ज़रूर पढ़ें 

 S.N History (इतिहास ) Objective Question 
  (भाग-I)  प्राचीन इतिहास (Ancient History) 
 1 ईट, मनके तथा अस्थियां : हड़प्पा सभ्यता
 2 राजा, किसान और नगर : आरंभिक राज्य और अर्थव्यवस्थाएं
 3 बंधुत्व, जाति तथा वर्ग : आरंभिक समाज
 4 विचारक, विश्वास और इमारतें : सांस्कृतिक विकास
  (भाग-II)  मध्यकालीन भारत का इतिहास
 5 यात्रियों के नजरिए : समाज के बारे में उनकी समझ
6 भक्ति-सूफी परंपराएं : धार्मिक विश्वासों में बदलाव और श्रद्धा ग्रंथ
7 एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर
8 किसान जमींदार और राज्य : कृषि समाज और मुगल साम्राज्य
9 शासक और इतिवृत्त : मुगल दरबार
(भाग -III)    आधुनिक भारत का इतिहास
10 उपनिवेशवाद और देहात
11 विद्रोही और राज 1857 का आंदोलन
12 औपनिवेशिक शहर
13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन
14 विभाजन को समझना : राजनीति स्मृति अनुभव
15 संविधान का निर्माण

 

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