Geography Chapter 1 Notes In Hindi Class 12th || Class 12th Chapter 1 मानव भूगोल : प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

Geography [ भूगोल ]

Class 12th                   Chapter 1

मानव भूगोल : प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

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★  भूगोल का अर्थ (Meaning of Geography) :- भूगोल दो शब्दों से मिलकर बना है। भू + गोल जिसका अर्थ होता है “पृथ्वी”

 

★ भूगोल के पिता : सर्वप्रथम भूगोल शब्द का प्रयोग “इरेटाॅस्थेनीज” ने एक ग्रीक भाषा में किया है।

 

★ भूगोल क्या है (What Is Geography)

भूगोल की वह शास्त्र जिसके द्वारा पृथ्वी के ऊपरी स्वरुप और उसके प्राकृतिक विभागों जैसे :- पहाड़, महादेश, देश, नगर, नदी, समुद्र, झील, वन आदि) का ज्ञान होता है। उसे हम भूगोल कहते हैं।

 

भूगोल को दो भागों में बांटा गया है

  1. भौतिक भूगोल 2. मानव भूगोल

 

★ भौतिक भूगोल :- भूगोल की वह शाखा जिसमें भौतिक भूगोल का अध्ययन किया जाता है। उसे हम भौतिक पर्यावरण कहते हैं। जैसे :-  पर्वत, पठार, मैदान, जंगली जीव-जंतु, प्राकृतिक वनस्पति, वायुमंडल तथा महासागर आदि सम्मिलित है।

 

मानव भूगोल : भूगोल की वह धारातरल जिसमें मानव जनित भू-दृश्य का अध्ययन किया जाता है। उसे हम मानव भूगोल कहते हैं। जैसे :- अधिवास, कृषि, उद्योग, व्यापार, जनसंख्या, सड़क मार्ग, रेलमार्ग आदि ये सब सम्मिलित है।

 

मानव भूगोल (Human Geography)

मानव भूगोल प्राकृतिक जगत तथा मानवीय जगत के मध्य स्थापित परिवर्तनशील संबंधों का अध्ययन करता है। साथ ही इसमें मानवीय क्रियाकलापों के स्थानिक वितरण तथा उनके घटित होने से विश्व के विभिन्न भागों में उत्पन्न सामाजिक व आर्थिक विभिन्नओ का अध्ययन भी किया जाता है। इसमें प्राकृतिक वातावरण तथा मानव के संबंध का अध्ययन किया जाता है।

 

मानव भूगोल के कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएं (Some Important Definition of Human Geography) 

मानव भूगोल के जनक फ्रेडरिक रैटजेल (1844-1904) ने अपनी पुस्तक “एन्थोपोज्योग्राफी” में मानव तथा पर्यावरण का अध्ययन क्या है।

 

रैटजेल :- “मानव भूगोल मानव समाज और धरातल के बीच संबंधों का संश्लेषित अध्ययन है”

★ कुमारी लन सैंपल :- “मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील संबंधों का अध्ययन”

पाल विडाल-डी-ला ब्लाश : “हमारी पृथ्वी को नियंत्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा इस पर रहने वाले जीवो के मध्य संबंधों के अधिक संश्लेषित ज्ञान से उत्पन्न संकल्पना”

 

मानव का प्राकृतिकरण और प्रकृति का मानवीकरण (Naturalization Of Human And Humanisation Of Nature)

मानव का प्राकृतिकरण :- मानव द्वारा अर्जित की गई प्रौद्योगिकी की सहायता से अपने आवशकताओं को विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करता है। मानव ने प्रकृति के नियमों को समझने के बाद ही अपने द्वारा अर्जित प्रौद्योगिकी स्तर को प्राप्त किया है। जो इस प्रकार है :-

(✓) घर्षण तथा ऊष्मा की संकल्पना से मानव ने अग्नि की खोज की।

(✓) वायु की गति से वायुयानों की खोज की।

(✓) इसी प्रकार मानव ने अनेक चीज़ों की खोज की।

 

सम्भववाद :- यह एक भौगोलिक सिद्धांत है। जिसके अनुसार मनुष्य के सारे काम पर्यावरण पर निर्भर है। इसका प्रयोग सबसे पहले जर्मन भूगोलवेत्ताओं ने किया था। इस के प्रवर्तक रैटजेल है।

 

प्रकृति का मानवीकरण :- समय के साथ-साथ मानव ने पर्यावरण तथा प्राकृतिक बलों को भली-भांति समझने लगा। वे अधिक विकास करके अपने सामाजिक व सांस्कृतिक विकास भी करते हैं। मानव ने अपने मनमाने ढंग से प्राकृतिक का प्रयोग करने लगा।

(i) निश्चयवाद  (ii) नव-निश्चयवाद या रुको और जाओ निश्चयवाद

 

मानव भूगोल की नवीन विचारधाराएं (New Concepts Of Human Geography)

  1. कल्याणपरक भूगोल : मानव भूगोल का यह एक ऐसा उपागम है। जो मानवीय समाज में मिलने वाली असमानताओं तथा मानवीय कल्याण के विभिन्न पक्षों के अध्ययन पर बल देता है।
  2. मानवतावादी भूगोल :- मानवतावादी भूगोल सामाजिक-आर्थिक जीवन के समसामयिक घटनाओं तथा स्थानीय सामाजिक संगठन के अध्ययन को वरीयता प्रदान करता है।
  3. मूलवादी विचारधारा :- इसमें मानव के विचारधारा समस्याओं जैसे :-गरीबी, भुखमरी, बीमारियां, जातिभेद, रंगभेद आदि का अध्ययन करती है।
  4. व्यवहारवादी विचारधारा: इस विचारधारा में जातीयता, प्रजाति, धर्म आदि पर आधारित सामाजिक वर्गों के आधार पर अध्ययन किया गया है।

 

★ मानवतावादी, अमूलवादी और व्यवहारवादी विचारधाराओं का उदय 1970 के दशक में हुआ था।

 

मानव भूगोल समय के गलियारों से या मानव भूगोल का विकास (Human Geography Through The Corridors Of Time Or Development Of Human Geography)

समय के साथ-साथ मानव भूगोल के उपागम में परिवर्तन आता गया जो मानव भूगोल के परिवर्तनशील प्रकृति का घोतक है। मानव भूगोल का विकास सन 1950 के दशक में प्रारंभ हुआ।

 

 

 

 

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