Geography Chapter 5 Notes Class 12th
Geography – भूगोल
Class 12th Chapter 5
द्वितीय क्रियाएं
Full Chapter Explanation With Notes
★ परिचय :- इस अध्याय में हमलोग मुख्यता विनिर्माण, उद्योग, कारखाना का अध्ययन करेंगे।
★ द्वितीय क्रियाएं (Secondary Activities) :- द्वितीय क्रियाकलाप में प्राथमिक उत्पादों (कच्चे माल़) को अधिक उपयोगी उत्पादों में बदलकर परिवर्तन किया जाता है उसे द्वितीय क्रियाकलाप कहते हैं।
जैसे :- गेहूं को आटा में परिवर्तन करना और आटा से ब्रेड बनाना यह द्वितीय क्रियाकलाप है।
★ विनिर्माण उद्योग ( Manufacturing Industries) :- विनिर्माण उद्योग में वह समस्त क्रियाकलाप सम्मिलित होते हैं जिनके द्वारा कच्चे मालों को अधिक उपयोगी स्वरूपों में परिवर्तन किया जाता है। उसे विनिर्माण उद्योग कहते हैं।
☞ इस उद्योग में हस्तशिल्प कला का प्रयोग अधिकतर किया जाता था लेकिन अब मशीनों का उपयोग किया जाने लगा।
★ आधुनिक बृहद पैमाने पर विनिर्माण की विशेषताएं :- वृहत पैमाने पर विनिर्माण के निम्नलिखित विशेषताएं हैं——-
★ यंत्रीकरण (Mechanisation) :- इसका मुख्य अर्थ विनिर्माण के क्षेत्रों में मशीनों के प्रयोग से है। यह मशीन बिना मानव के सोच से चलता है किंतु मानव इसे डायरेक्शन देता है। इसके प्रयोग से वस्तु की लागत कमी और उत्पादन में भारी वृद्धि हुई है।
★ उत्पादन विधियाँ (Methods Of Production) :- इसमें छोटे यंत्रों एवं हस्त विनिर्माण से उत्पादन काफी कम तथा लागत अधिक होता है इसकी गुणवत्ता भी उतनी अच्छी नहीं होती थी। लेकिन मशीनों के प्रयोग से इसकी गुणवत्ता में वृद्धि हुई है।
★ प्रौद्योगिकीय नवाचार (Technological Innovation) :- इसमें नवीन अविष्कारों को लिया गया है जिसमें पर्यावरण प्रदूषण के विरोध कार्य किया गया है।
★ संज्ञानात्मक ढांचा एवं स्तरीकरण (Organisational Structure and Stratification) :-
☞ इसमें मजदूर के द्वारा कम प्रयास एवं कम लागत से अधिक माल का उत्पादन किया जाता है।
☞ इसमें अधिक पूंजी का उपयोग किया जाता है।
☞ इसमें बड़े पैमाने पर औद्योगिक संगठन मिलते हैं।
★अनियमित भौगोलिक वितरण (Irregular geographic distributio) :- औद्योगिक दृष्टि से विकसित देश ऐसे हैं जो आर्थिक एवं राजनीतिक शक्ति का केंद्र होते हैं ऐसे औद्योगिक क्षेत्र कृषि की तुलना में बहुत छोटे होते हैं लेकिन यह सबसे महत्वपूर्ण होते हैं।
★ विनिर्माण उद्योग का स्थानीयकरण (Localization of Manufacturing Industry) :- उद्योग का स्थानीय करण का अर्थ है कि किसी स्थान अथवा क्षेत्र जो विशेष केंद्र पर हो उसे उद्योग का स्थानीयकरण कहते हैं जैसे :- लोहा इस्पात :- जर्मनी, ग्रेट ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका
★ उद्योगों को प्रभावित करने वाले स्थानीयकरण निम्नलिखित है
बाजार तक पहुंच :- विनिर्माण उद्योग की स्थापना और उन्नति में बाजार के निकट विशेष लाभदायक होती है। क्योंकि यहां पर वस्तु अधिक खपत होती है इसीलिए यहां पर उद्योग चालू किए जाते हैं। और ऐसा करने से माल भेजने में बहुत ही सुविधा होती है जिससे कम लागत लगती है।
कच्चे माल की प्राप्ति :- इसमें कच्चे माल की आवश्यकता अधिक होती है जिसके कारण बाहर से सामान लाने में इसका खर्चा में बहुत वृद्धि हो जाती है इसके अंतर्गत जहां कच्चे माल की प्राप्ति होती है वहां उद्योग की स्थापना करना आवश्यक है। जैसे चीनी के कारखाने, सीमेंट के फैक्ट्रियां, कागज के उद्योग आदि
शक्ति के साधनों :- ऐसे क्षेत्र जहां ऊर्जा की खपत बहुत अधिक होती है। वहां इसकी स्थापना की जाती है जैसे कोयला एक भारी ईंधन है इसके लिए उसके नजदीकी स्थापना करना जरूरी है।
परिवहन एवं संचार की सुविधाएं :- उद्योगों के लिए कच्चे माल को लाना और उत्पादित माल को भेजने में परिवहन की आवश्यकता होती है। इसमें परिवहन का सस्ता होना लोहा इस्पात और सीमेंट उद्योग के लिए बहुत आवश्यक होती है क्योंकि यह भारी समान होते हैं और अधिक मांग होती है।
सरकारी नीति :- सरकारी नीति में उद्योग की स्थापना के लिए सरकार विशेष महत्व रखती है क्योंकि जहां सरकार स्थापित के लिए विशेष सुविधाएं प्रदान करती है उन क्षेत्रों में शीघ्र ही कार्य होने लगती है।
जलवायु
भूमि
जल
★ स्वच्छंद उद्योग (Footloose Industry) :- यह उद्योग संकट पुर्जों पर निर्भर रहते हैं जो कहीं से भी प्राप्त किया जा सकता है। इस उद्योग की स्थापना में सड़क परिवहन की महत्वपूर्ण आवश्यकता रहती है यह उद्योग प्रदूषण रहित होते हैं जैसे प्लास्टिक, कृतिम, रब्बर, रेडियो व इलेक्ट्रॉनिक उद्योग, वाहन उद्योग, जहाज निर्माण उद्योग आदि।
✓ इसकी विशेषताएं
☞ यह उद्योग हल्के होते हैं।
☞ उत्पादक छोटे तथा आसानी से परिवहन के योग्य होते हैं।
☞ इस उद्योग में कम कच्चे माल और कम लोग कार्य करते हैं।
☞ इसमें उद्योग का स्थानीयकरण के अनेक विकल्प है।
★ विनिर्माण उद्योग का वर्गीकरण :- विनिर्माण उद्योग को अलग-अलग वर्गीकृत में बांटा गया है।
(I) आकार का आधार
(II) कच्चे माल का आधार
(III) उत्पाद का आधार
(IV) स्वामित्व का आधार
★ आकार के आधार पर उद्योग (Industries Based On Size) :- इस उद्योग को 3 वर्गों में बांटा गया है।
(i) कुटीर या गृह उद्योग
(ii) लघु या छोटे पैमाने के उद्योग
(iii) बड़े पैमाने का उद्योग
(i) कुटीर या गृह उद्योग (Cottage or Household Industries) :- इस उद्योग में मुख्य रूप से परिवार के सदस्य ही कार्य करते हैं और यह भारत में बहुत ज्यादा प्रचलित है जैसे घास -फूंस से रस्सी बनाना, मिट्टी से बर्तन बनाना, पशुचारकों द्वारा विभिन्न प्रकार के वस्तुएं बनाना आदि
(ii) लघु या छोटे पैमाने के उद्योग (Small Scale Manufacturing) :- इस उद्योग में मुख्य रूप से मशीनों का प्रयोग किया जाता है। यह उद्योग घर से बाहर लगाए जाते हैं इसमें कुटीर उद्योग की अपेक्षा लघु उद्योग में होते हैं। यह उद्योग रोजगार प्रदान करती है इसकी स्थापना भारत, इंडोनेशिया तथा ब्राजील जैसे विकसित राष्ट्र किए हैं।
(iii) बड़े पैमाने का उद्योग (Large Scale Manufacturing) :- इस उद्योग ने मुख्य रूप से बड़ी पूंजी की आवश्यकता होती है और इसमें कुशल श्रमिकों तथा कारीगरों की जरूरत होती है क्योंकि मशीनों के देखभाल कार्यक्रमों के द्वारा किया जाता है।
(II) कच्चे माल का आधार :- कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को 5 भागों में बांटा गया है।
(i) कृषि आधारित उद्योग :- चीनी उद्योग, सूती व रेशमी वस्त्र उद्योग, जुट, चाय, कॉफी तथा रबर उद्योग सम्मिलित है।
(ii) खनिज आधारित उद्योग :- धात्विक खनिज में लौह इस्पात आते हैं और अधात्विक खनिज में तांबा एलमुनियम एवं रत्न आभूषण उद्योग आते हैं।
(iii) रसायन आधारित उद्योग :- पेट्रो रसायन उद्योग, नमक उद्योग, प्लास्टिक उद्योग आते हैं।
(iv) वनों पर आधारित उद्योग :- फर्नीचर उद्योग, कागज उद्योग
(v) पशु आधारित उद्योग :- चमड़ा उद्योग तथा ऊनी वस्त्र उद्योग
(III) उत्पाद का आधार :- यह उद्योग मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं।
(i) आधारभूत उद्योग :- लोहा इस्पात
(ii) उपभोक्ता वस्तु निर्माण उद्योग :- ब्रेड, बिस्कुट, चाय, साबुन, कागज तथा श्रृंगार का सम्मान आदि।
(IV) स्वामित्व के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण :- इसमें तीन प्रकार के उद्योग आते हैं।
(i) सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग
(ii) निजी या व्यक्तिगत क्षेत्र के उद्योग
(iii) संयुक्त क्षेत्र के उद्योग

★ उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग की संकल्पना (Concept Of High Tech Industriy) :- इस उद्योग के अंतर्गत मानव कंप्यूटर आधारित है डिजाइन तथा निर्माण हेतु इलेक्ट्रॉनिक यंत्र तथा नवीन रसायनिक उत्पादन प्रमुख रूप से सम्मिलित है।
☞ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे कंप्यूटर, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर
☞ चिकित्सा उपकरण :- डिजिटल एक्सरे मशीन
★ विश्व के कुछ प्रमुख उद्योग :- विश्व में 50% से अधिक भागीदारी अमेरिका, जापान तथा जर्मनी की है उद्योग के क्षेत्र में और इसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण लोहा इस्पात तथा वस्त्र निर्माण उद्योग को रखा गया है।
★ लोहा इस्पात उद्योग (Iron And Steel Industry) :- लोहा इस्पात उद्योग सभी उद्योग की जननी कहलाती है क्योंकि यह सबसे मजबूत हथियार होते हैं।
✓ भारत में जमशेदपुर, कुल्टी-बर्नपुर, दुर्गापुर, राउरकेला, भिलाई, सलेम, विशाखापट्टनम एवं भद्रावती प्रमुख केंद्र है।
★ सूती वस्त्र उद्योग
✓ भारत :- मुंबई, नागपुर, कोयंबटूर, कानपुर, अहमदाबाद, सूरत, अलवर, भीलवाड़ा ।
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