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Political Science [ राजनितिक शास्त्र ]
Class 12th Chapter 1
शीत युद्ध का दौर
Full Chapter Explanation with Notes |
★ शीत युद्ध का अर्थ (Cold War Era Definition)
शीत युद्ध का अर्थ यह है कि जब दो देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति हो। ऐसा लगे कि लड़ाई होने वाला है। लेकिन वास्तव में कोई लड़ाई न हो। उसे ही शीत युद्ध कहते हैं। यह लड़ाई संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच में हुआ था। USSR & USA
★ शीत युद्ध का परिचय (Cold War Era Introduction)
सन 1945 में दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हो गया। इस युद्ध में बड़े पैमाने पर जनहानि और धनहानि हुई। 1914 से 1918 के बीच हुए पहले विश्व युद्ध ने विश्व को दहला दिया था। लेकिन 1939 से 1945 दूसरा विश्व युद्ध इससे भी ज्यादा भारी पड़ा।
(√) मित्र- राष्ट्रों :– मित्र राष्ट्रों की अगुआई अमेरिका, सोवियत संघ, ब्रिटेन और फ्रांस कर रहे थे।
(√) धुरी राष्ट्रों :– धुरी राष्ट्रों की अगुआई जर्मनी, इटली और जापान के हाथ में थी। विश्व के सभी ताकतवर देश शामिल थे।
★ शीत युद्ध की शुरुआत (Start Of Cold War Era)
दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति से ही शीत युद्ध की शुरुआत हुई। अगस्त 1945 में अमेरिका ने जापान के दो शहर हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराया और जापान को घुटने टेकने पड़े। तब दूसरे विश्व युद्ध के समाप्त हुई। शीत युद्ध 1945 से 1991 तक चला।
(✓) 6 अगस्त 1945 ( लिटिल बॉय )
(✓) 9 अगस्त 1945 ( फैटमैन )
👉 Important Term (महत्वपूर्ण शब्द)
(✓) प्रथम विश्व युद्ध :- 1914 से 1918
(✓) दुसरे विश्व युद्ध :- 1939 से 1945
(✓) शीत युद्ध :- 1945 से 1991 तक
★ दो महाशक्तियों का उदय
दूसरे विश्व युद्ध की समाप्त होने के कुछ समय बाद ही दो माहशक्तियों के बीच टकराव था। जो परस्पर घृणा, संदेह व द्वेष के भावों से प्रभावित था। यह घृणा संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच हुआ।
(✓) इन दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति था। लेकिन तीसरा विश्व युद्ध की संभावना नहीं थी।
(✓) इसमें शस्त्र का उपयोग नहीं था। लेकिन कुटनीतिक थी।
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★ क्यूबा मिसाइल संकट
क्यूबा अमेरिका के तट से लगा हुआ एक छोटा सा द्वीपीय देश है। क्यूबा का जुड़ाव सोवियत संघ से था। सोवियत संघ के नेता निकिता ख्रुश्चेव ने क्युबा को रूस के “सैनिक अड्डे” के रूप में बदलने का फैसला किया। 1962 में ख्रुश्चेव ने क्युवा में परमाणु मिसाइलें तैनात कर दी। जिससे अमेरिका नजदीकी के निशाने पर आ गया। क्यूबा में सोवियत संघ द्वारा परमाणु हथियार तैनात करने की भनक अमेरिका को 3 हफ्ते बाद लगी।
(✓) अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी कुछ गलत करने से हिचकीचा रहे थे। अमेरिका आदेश दिया कि सोवियत संघ के जहाजों को रोका जाए। नहीं तो तीसरा युद्ध की संभावना हो सकती थी। इसे ही क्यूबा मिसाइल संकट कहते हैं।
★ शीत युद्ध के उदय के कारण (Causes Of Emergence Of Cold War)
शीत युद्ध उदय होने में दो महाशक्तियों का हाथ है। और दोनों देश में से एक देश शक्तिशाली बनना चाहता था। इसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं :—-
[I.] कट्टरपंथी मत : सोवियत संघ का उत्तरदाई होना
- याल्टा समझौतों का निरादर
- ईरान में रूसी सेनाओं का जमावड़ा
- बर्लिन की नाकेबंदी
- अमेरिका विरोधी प्रचार
[II] संशोधनवादी मत : अमेरिका का उत्तरदाई होना
- समाजवादी व्यवस्था का विरोध
- पूर्वी यूरोप में सोवियत विस्तारवाद का विरोध
- सोवियत विरोधी प्रचार
★ शीत युद्ध के दायरे (Arenas Of The Cold War)
शीत युद्ध के दौरान अनेक संकट सामने आई। जिन्हें हम शीत युद्ध के दायरे के नाम से भी जानते हैं। शीत युद्ध के दौरान प्रमुख संकट निम्नलिखित है। जो कि इस प्रकार है :-
- कोरिया का संकट (1950-1953 ई.)
- बर्लिन का संकट (1958–62 ई.)
- कांगो का संकट (1960 ई.)
- क्यूबा का मिसाइल संकट (1962 ई.)
(✓) इन सभी संकटों से लग रहा था। कि तृतीय विश्व युद्ध हो सकता था। लेकिन उसे टाल दिया गया।
★ शीतयुद्धकालीन विभिन्न चरण
- निरंतर चढ़ाव का चरण (1946-53)
- उतार-चढ़ाव का चरण (1953-1962)
- उतार का चरण (1963-70)
- तनाव शैथिल्य का चरण (1971-80)
- शीत युद्ध एवं तनाव शैथिल्य का चरण (1981-1991)
★ महाशक्तियों के सैनिक गठबंधन (Military Blocs Of The Super Power)
- संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)
(✓) रियो संधि (Rio Treaty 1947) :- अमेरिका के रियो संधि में अनेक देश शामिल थे। जैसे :- अमेरिका, मैक्सिको, क्यूबा, हैती, डोमोनिकन रिपब्लिक, ग्वाटेमाला, एल सिलवाडोर, निकारागुआ, कोस्टारिका, पनामा, कोलंबिया, वेनेजुएला, इक्वाडोर, पेरू, ब्राजील बोलीविया, पैरागुए, चिली, अर्जेंटाइना, त्रिनिदाद व टोबेगो।
(✓) नाटो (North Atlantic Treaty Organisation) :- नाटो अमेरिका का एक सैनिक संगठन है। जिसकी स्थापना 4 अप्रैल 1949 को हुई थी। इसमें यह देश शामिल है जैसे:- अमेरिका, कनाडा, आइसलैंड, नॉर्वे, ग्रेट ब्रिटेन, नीदरलैंड, लक्जमबर्ग, डेनमार्क, बेल्जियम, पुर्तगाल, फ्रांस, इटली, यूनान, तुर्की, पश्चिमी जर्मनी व स्पेन
(✓) आंजस संधि (Anzus Pact, 1951) अमेरिका, न्यूजीलैंड व ऑस्ट्रेलिया
(✓) सीटो (South East Asia Treaty Organisation, 1954) इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिलिपिंस, थाईलैंड व पाकिस्तान शामिल था
(✓) बगदाद संधि (Baghdad Pact, 1955) इसमें ब्रिटेन, पाकिस्तान, ईरान, इराक व तुर्की : 1959 में इराक निकलने के बाद यह सेंटो (Central Treaty Organisation) हो गई।
(✓) द्विपक्षीय सुरक्षा संधियाँ (Bilateral Defence Pacts) जापान व ताईवान के साथ (1950), फिलीपींस के साथ (1951), दक्षिण कोरिया के साथ (1953), दक्षिणी वियतनाम के साथ (1955)
- सोवियत संघ (USSR)
(✓) वारसा सन्धि (Warsaw Pact, 1955) :- सोवियत संघ, पोलैंड, हंगरी, रोमानिया, बुलगारिया, चेकोस्लोवाकिया, अल्बानिया व पूर्वी जर्मनी।
(✓) द्विपक्षीय सुरक्षा संधियाँ (Bilateral Defence Pacts)
★ शीत युद्ध एवं तनाव शैथिल्य (Cold War And Detente, 1981-1991)
- यह स्थिति चलती रही। रिगन 1981 में सोवियत संघ के राष्ट्रपति बने।
- उसके बाद 1985 में गोर्बोच्योव सोवियत संघ के राष्ट्रपति बने।
- 1988 के जिनेवा सम्मेलन में सोवियत संघ ने अफगानिस्तान से अपनी सेनाएं वापस कर ली।
- 1991 के खाड़ी युद्ध में सोवियत संघ व अमेरिका ऐसे मित्र राष्ट्र बन गए जैसे वह दूसरे महायुद्ध के समय थे।
- 1991 में सोवियत संघ के विघटन के साथ शीत युद्ध का अंत हो गया।
★ दो ध्रुवीय विश्व का आरंभ (Start Of Two Bipolarity)
दोनों महाशक्तिया विश्व के विभिन्न हिस्सों पर अपने प्रभाव का दायरा बढ़ाने के लिए तुली हुई थी। दुनिया दो गुटों के बीच बंट गई थी। यह विभाजन सबसे पहले यूरोप में हुआ। पश्चिमी यूरोप के अधिकतर देशों ने अमेरिका का पक्ष लिया। जबकि पूर्वी यूरोप सोवियत खेमे में शामिल हो गया। इसीलिए ये खेमे पश्चिमी और पूर्वी गठबंधन भी कहलाते हैं।
(✓) पश्चिमी गठबंधन :– अप्रैल 1949 में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की स्थापना हुई। जिसमें 12 देश शामिल थे। यदि उत्तरी अमेरिका अथवा यूरोप के किसी भी देश पर हमला होता है। तो संगठन में शामिल सभी देशों अपने ऊपर हमला मानेंगा। नाटो में शामिल हर देश एक-दूसरे की मदद करेगा।
(✓) पूर्वी गठबंधन :- पूर्वी गठबंधन में “वारस संधि” के नाम से जाना जाता है। जिसकी स्थापना 1955 में हुई। इसकी स्थापना सोबियत संघ ने किया था।
★ दो ध्रुवीयता की चुनौती – गुटनिरपेक्ष आंदोलन
हम जानते हैं कि शीत युद्ध की वजह से विश्व दो प्रतिद्वंदी गुटों में बांट रहा था। गुटनिरपेक्ष ने एशिया, अफ्रीका और लातिनी अमेरिका को नव-स्वतंत्र देश को एक तीसरा विकल्प दिया गया। दोनों महाशक्ति से अलग होने का।
(✓) युगोस्लाविया के जोसेफ ब्रांज टीटो
(✓) भारत के जवाहरलाल नेहरू
(✓) मिस्र के गमाल अब्दुल नासिर
(✓) इंडोनेशिया के सुकर्णो
(✓) घाना के वामो एनक्रूमा
यह पांच नेता गुटनिरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक कहलाए है। पहला गुटनिरपेक्ष सम्मेलन सन 1961 में बेलग्रेंड में हुआ। पहले गुटनिरपेक्ष सम्मेलन में 25 सदस्य देश शामिल हुए। फिर बाद में गुटनिरपेक्ष आंदोलन की संख्या बढ़ती गई। 2019 में अजरबेजान में हुए 18वें सम्मेलन में 120 सदस्य देश और 17 पर्यवेक्षक देश शामिल हुए। गुटनिरपेक्ष महाशक्तियों में शामिल न होने का आंदोलन है।
★ भारत और शीत युद्ध
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